Jagjit singh Birth Anniversary: जानिए गजल की दुनिया के बादशाह जगजीत सिंह के जीवन के संघर्ष की कहानी

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मुंबई: गजल सम्राट जगजीत सिंह की आज 83वीं जयंती है। महान गजल सम्राट जगजीत ने अपने करियर में कई गजलें गाकर प्रशंसकों के दिलों पर राज किया है। उनकी आवाज़ में एक जादू था जो हर उम्र के लोगों को आकर्षित करता था। जगजीत जी के जन्मदिन के खास मौके पर आइए जानते हैं कैसा रहा उनका सफर…

बचपन से ही संगीत की तरफ था रुझान

जगमोहन सिंह उर्फ जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। बचपन से ही संगीत में रुझान रखनेवाले जगजीत सिंह को गजलों का किंग कहा जाता था। दरअसल, जगजीत के पिता सरदार अमर सिंह धमानी को संगीत में काफी रुचि थी। उन्होंने संगीत की शिक्षा उस्ताद जमाल खान और पंडित छगनलाल शर्मा से प्राप्त की। प्राथमिक शिक्षा के बाद जगजीत पढ़ाई के लिए जालंधर आ गये। यहां उन्होंने डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

गायकी ने लोगों पर अमिट छाप छोड़ी

1965 में अपने करियर को रफ्तार देने के लिए मुंबई आए जगजीत सिंह का असली संघर्ष यहीं से शुरू हुआ। कहा जाता है कि शुरुआत में अपनी जीविका चलाने के लिए जगजीत सिंह ने छोटे-छोटे संगीत समारोहों और कार्यक्रमों में गाने गाए। इसके अलावा उन्होंने फिल्मी गलियारों को भी अपनी आवाज से सजाया। इस दौरान किसी ने उन्हें बी ग्रेड गायक का दर्जा दिया तो कई बार लोग उनकी प्रस्तुति पर हंसे, लेकिन जगजीत ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को स्थापित किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी मखमली आवाज से अपनी अमिट छाप छोड़ी और लोगों के दिलों में बस गए।

पहले एल्बम ने बना दिया स्टार

1967 में उनकी मुलाकात गजल गायिका चित्रा से हुई। दो साल बाद 1969 में दोनों ने शादी कर ली. जगजीत सिंह-चित्रा कई गजल समारोहों में एक साथ हिस्सा लेते थे और अपनी जुगलबंदी से संगीत कार्यक्रमों में समां बांध देते थे। साल 1976 में जगजीत सिंह ने चित्रा सिंह के साथ मिलकर ‘द अनफॉरगेटेबल’ नाम से अपना एल्बम निकाला। उनके पहले ही एल्बम को काफी सराहना मिली और यह जोड़ी गायकी के क्षेत्र में स्टार बन गई। उनका गाना ‘बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी’ लोगों को खूब पसंद आया।

आज भी पसंद किए जाते हैं उनके गीत

‘झुकी-झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं’, ‘तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो’, ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया’, ‘प्यार का पहला खत लिखने में वक्त तो लगता है’, ‘होश वालों को’, ‘होठों से छू लो तुम’, ‘ये दौलत भी ले लो’, ‘चिठ्ठी न कोई संदेश’ जगजीत सिंह की खास गजलें में से एक हैं। जगजीत सिंह के नाम 150 से ज्यादा एल्बम को अपनी गजलों को खूबसूरत बनाया था। उन्होंने ‘अर्थ’, ‘प्रेमगीत’, ‘लीला’, ‘सरफरोश’, ‘तुम बिन’, ‘वीर जारा’, ‘जिस्म और जॉगर्स पार्क’ जैसी फिल्मों के लिए अपनी आवाज दी। इन फिल्मों के गीत आज भी लोग खूब पसंद करते हैं।

बेटे की मौत से लगा गहरा सदमा

जगजीत सिंह और चित्रा के बेटे विवेक सिंह की एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। अपने 20 साल के बेटे को खोने से गायक को इतना सदमा लगा कि उन्होंने गाना छोड़ने का फैसला कर लिया। हालांकि, उनके प्रशंसकों का प्यार उन्हें एक साल बाद गायन में वापस ले आया। उनकी पत्नी चित्रा ने 1990 में अपने बेटे की मृत्यु के तुरंत बाद हमेशा के लिए गायन छोड़ने की घोषणा की थी। साल 2011 के सितंबर में जगजीत सिंह को ब्रेन हैमरेज हुआ, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और 10 अक्तूबर, 2011 को वो इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।