PM मोदी के विदेश दौरे से भारत को क्या मिला? 13 पीएम, 9 राष्ट्रपति, कलाकारों से कारोबारियों तक से मिले, जानें सब कुछ

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज छह दिनों के विदेश दौरे से वापस भारत लौट रहे हैं। उनका ये विदेश दौरा काफी सुर्खियों में रहा। एक तरफ जहां, उन्होंने दुनिया के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात की वहीं, दूसरी ओर उद्योग से लेकर कला जगत की मशहूर हस्तियों से भी मिले।

आइए जानते हैं प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस विदेश दौरे पर क्या-क्या किया? कितने देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की? पीएम मोदी के इस दौरे से भारत को क्या फायदा मिला?

जापान से हुई शुरुआत
पीएम मोदी 19 मई को जापान पहुंचे। यहां हिरोशिमा शहर में आयोजित G7 समिट और फिर क्वाड सम्मेलन में शिरकत की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने दुनिया के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात की। कई देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी में हुए फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड को-ऑपरेशन यानी FIPIC की बैठक में शामिल हुए। यहां से पीएम मोदी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। जहां, उन्होंने भारतीय नागरिकों के एक बड़े समूह को संबोधित किया।

13 देशों के पीएम, नौ राष्ट्रपति से मिले प्रधानमंत्री मोदी
जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर प्रधानमंत्री ने 13 देशों के प्रधानमंत्रियों, नौ राष्ट्रपतियों और अन्य नेताओं से मुलाकात की। पीएम मोदी ने इस दौरान अमेरिका, फ्रांस, जापान समेत नौ देशों के राष्ट्रपतियों से मुलाकात की। इसके अलावा 13 देशों के प्रधानमंत्रियों से भी पीएम मोदी ने मुलाकात की। जापान और ऑस्ट्रेलिया के कई उद्योगपति, कलाकारों, साहित्यकारों व अन्य बड़ी हस्तियों से भी मोदी ने मुलाकात की।

पीएम मोदी के दौरे से भारत के फायदे
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार प्रो. सुदीप्तो सेन से बात की। उन्होंने कई बिंदुओं में पीएम मोदी की इस यात्रा के मायनों के बारे में बताया।

1. जी-7 बैठक में गेस्ट के तौर पर शामिल हुए: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिरोशिमा में हुई G-7 की बैठक में गेस्ट के तौर पर शामिल हुए श। G-7 दुनिया के सात विकसित और अमीर देशों का समूह है। जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है। ये अपने आप में ही काफी बड़ी बात है। इससे पता चलता है कि भारत की अहमियत अब दुनिया में कितनी हो गई है। इसके अलावा पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को इसके जरिए एक संदेश भी जाता है कि अब भारत दुनिया के बड़े देशों के लिए क्या मायने रखता है। भारत ने जहां एक तरफ रूस का साथ नहीं छोड़ा, वहीं पश्चिमी देशों के साथ भी भारत के मजबूत रिश्ते पीएम मोदी की विदेशी कूटनीति का एक बड़ा उदाहरण है। इस बैठक के बाद पीएम मोदी ने क्वाड की बैठक में भी शिरकत की।

2. बाइडेन की बातें, दुनिया को संदेश: जी-7 मीटिंग के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद पीएम मोदी के पास आए। दोनों ने गले लगाकर एक-दूसरे का अभिवादन किया। इस दौरान बाइडेन ने पीएम मोदी से कहा- अमेरिका में बहुत से लोग कह रहे हैं कि आप मोदी के कार्यक्रम में जाएं। इसपर वहीं, मौजूद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने कहा कि उनके पास भी ऐसी रिक्वेस्ट आ रही है पर सिडनी के कम्युनिटी रिसेप्शन में 20 हजार लोगों की ही क्षमता है। बाइडेन और एल्बनीज ने मोदी को बताया कि उनके सामने भीड़ को मैनेज करने की चुनौती है। इस दौरान एल्बनीज ने बताया कि जब वे भारत दौरे पर थे, तब किस तरह 90 हजार लोगों ने अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में उनका और मोदी का स्वागत किया। इस पर बाइडेन ने कहा- मुझे आपका ऑटोग्राफ लेना चाहिए। अमेरिका के राष्ट्रपति का पीएम मोदी से इस तरह से मिलना और ये बातें कहना अपने आप में दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है।

3. जापान से दोस्ती, चीन को संदेश : जापान जाकर पीएम मोदी ने दोनों देशों की दोस्ती को और मजबूत किया। इसके साथ भारत ने ये भी बता दिया कि वह हर कदम पर जापान के साथ हैं। ये चीन को साफ संदेश था। तकनीक के मामले में जापान हमेशा से भारत की मदद करता रहा है। दोनों देशों की साझेदारी दशकों पुरानी है। अब पीएम मोदी इसे और मजबूत करने में जुटे हैं। ये एक तरह से चीन को घेरने के लिए बहुत जरूरी है।

4. यूक्रेन के राष्ट्रपति से मिलना भी बड़ा संदेश: हाल ही में रूस के विदेश मंत्री दो बार भारत का दौरा कर चुके हैं। पीएम मोदी ने पिछले साल सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद मोदी ने पहली बार यूक्रेन के राष्ट्रपति से आमने-सामने मुलाकात की। इस पर पूरी दुनिया की नजर थी। मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बातचीत के जरिए विवाद शांत करने की बात कही। यूक्रेन को हर संभव मदद देने का आश्वासन भी दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने जेलेंस्की से कहा- यूक्रेन जंग इकोनॉमी और पॉलिटिक्स का नहीं, इंसानियत का मुद्दा है। भारत इस जंग को खत्म करने के लिए हर कदम उठाने तैयार है।

5. पपुआ न्यू गिनी के पीएम द्वारा प्रधानमंत्री मोदी का पैर छूना : ये अपने आप में किसी देश के लिए गर्व की बात है। एक दूसरे देश के राष्ट्राध्यक्ष ने भारतीय प्रधानमंत्री का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यही नहीं, अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से भी सम्मानित किया। इस चंद सेकंड के वीडियो फुटेज को पूरी दुनिया ने देखा। इससे दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। यही नहीं, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारेप ने फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड को-ऑपरेशन यानी FIPIC की बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र में पड़ने वाले कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के सामने साफ कहा कि भारत ही हमारा लीडर है। मारेप ने कहा, ‘भारत ग्लोबल साउथ यानी विकासशील और गरीब देशों का लीडर है। हम सभी विकसित देशों के पावर प्ले के शिकार हैं’। मतलब साफ है कि भारत अब विकासशील और गरीब देशों का प्रतिनिधत्व करने लगा है। ये 75 सालों में भारत की बड़ी और सबसे ताकतवर उपलब्धि है, जब दुनिया के कई देश उसे अपना लीडर बता रहे हैं।

6. प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते चीन के दबाव को कम करने की तरफ भारत का बड़ा कदम : पश्चिमी देशों से एशिया को प्रशांत क्षेत्र जोड़ता है। यहां 50 से ज्यादा छोटे देश और आईलैंड हैं। यहां चीन का प्रभाव तेजी से बढ़ने लगा है। चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के तहत पापुआ न्यू गिनी के करीब सोलोमन द्वीप समूह के साथ एक सुरक्षा समझौता किया था, जिसके बाद चीन ने राजधानी होनियारा में बंदरगाह बनाने का एक अनुबंध हासिल किया।

चीन के इस कदम को देखते हुए पापुआ न्यू गिनी बीजिंग की ओर झुकाव दिखा रहा है, जो क्वाड समूह के देश भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक बहुत बड़ी चिंता है। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने साल 2022 में बैंकॉक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की थी, जिसके बाद बीजिंग ने कहा था कि चीन और पापुआ न्यू गिनी दोनों एक अच्छे दोस्त हैं। इस दौरान चीन ने मारापे को चीन की यात्रा के लिए निमंत्रण दिया था।

अब भारतीय प्रधानमंत्री पहली बार फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आईलैंड को-ऑपरेशन यानी FIPIC में शामिल हुए। इसके जरिए उन्होंने हिंद क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदम को रोकने की दिशा में पहला और बड़ा कदम बढ़ाया। जिस तरह से प्रशांत क्षेत्र में बसे देश और आईलैंड्स ने पीएम मोदी का स्वागत किया वो भी बड़ा सियासी संदेश दे रहा है।

रिपब्लिक ऑफ पलाऊ और फिजी ने भी पीएम नरेंद्र मोदी को अपने देश का सर्वोच्च अवॉर्ड दिया है। पलाऊ ने पीएम को इबाकल अवॉर्ड तो फिजी ने ‘कम्पेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ द फिजी’ का सम्मान दिया है। ये दोनों देश भी प्रशांत क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में भारत के लिए ये बड़ी उपलब्धि है।

7. पीएम मोदी ने विकासशील और गरीब देशों को अपने साथ लाने की बड़ी कोशिश की : FIPIC में PM मोदी ने नाम लिए बिना विकसित देशों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘कोरोना का सबसे ज्यादा असर ग्लोबल साउथ यानी दुनिया के विकासशील और गरीब देशों पर पड़ा है’। क्लाइमेट चेंज, प्राकृतिक आपदाएं, भुखमरी और गरीबी कई चुनौतियां पहले से ही थीं अब नई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

PM मोदी ने कहा, ‘इस दौरान जिन पर भरोसा किया वो मुसीबत के समय हमारे साथ नहीं खड़े थे, जबकि भारत मुश्किल वक्त में प्रशांत द्वीप के देशों के साथ खड़ा रहा।’ PM ने कहा, ‘कोरोना वैक्सीन के जरिए भारत ने सभी साथी दोस्तों की मदद की। भारत के लिए पैसिफिक के द्वीप कोई छोटे आईलैंड देश नहीं बल्कि बड़े समुद्री देश हैं।’

पीएम मोदी का ये भाषण उन तमाम विकासशील और गरीब देशों के पक्ष में था, जो किसी न किसी तरह से विकसित देशों की उपेक्षा का केंद्र हैं। ऐसे देशों को पीएम मोदी ने भरोसा दिलाया है कि उनकी हर मुसीबत में भारत उनके साथ खड़ा रहेगा, जैसा कोरोना के समय खड़ा था। इससे भारत समुद्र के किनारे बसे तमाम विकासशील और गरीब देशों को खुद से जोड़ने का काम किया है।

8. ऑस्ट्रेलिया दौरे से भारत को क्या मिला? : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दूसरी बार ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। ऑस्ट्रेलिया की संसद ने हाल ही में भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते यानि एफटीए (FTA) को मंजूरी प्रदान की है। इस बड़े बदलाव के बाद प्रधानमंत्री का यह पहला ऑस्ट्रेलिया दौरा है। अपने दौरे के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख कंपनियों के उद्योगपतियों से मुलाकात की। इसके पहले मार्च में ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री भारत आए थे। तब भी दोनों देशों के बीच कई बड़े मसलों पर बात हुई थी। अब पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे से देश में निवेश को बढ़ावा देने की तरफ कदम बढ़ाया है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने में ऑस्ट्रेलिया अहम भूमिका निभा सकता है। इस लिहाज से भी पीएम मोदी का ये दौरा काफी अहम है।