रामायण महोत्सव के अंतिम दिन पश्चिम बंगाल से आई टीम ने सीता हरण प्रसंग का मंचन किया। इस टीम के शानदार मंचन ने लोगों को भावुक कर दिया। वहीं अंतिम दिन की प्रस्तुति में केरल, उत्तर प्रदेश व दंतेवाड़ा की टीम ने भी भावपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसे पंडाल के दर्शकदीर्धा में बैठे श्रद्धालुओं ने खूब सराहा।
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के तीसरे दिन केरल से आए कलाकार दल ने पारंपरिक लोक वेशभूषा में प्रस्तुति दी। इस अवसर पर उन्होंने रामकथा से जुड़े प्रसंगों की मनमोहक प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। केरल की रामायण मंडली ने संगीतमय प्रस्तुति देते हुए सूर्पणखा प्रसंग से लेकर रावण वध तक के प्रसंग की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। पारंपरिक वेशभूषा के साथ इस प्रस्तुति में केरल में भगवान राम की महिमा की सुंदर अभिव्यक्ति दी गईए कलाकारों ने भक्ति और भाव के मिश्रण का जीवंत प्रदर्शन किया। इसके साथ ही उत्तरप्रदेश रामायण मंडली द्वारा अरण्य कांड पर कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। उनकी प्रस्तुति में खास बात यह है कि सभी पात्र अपने-अपने संवाद खुद बोल रहे हैं। संगीत बैकग्राउंड में सुनाई दे रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल की टीम ने रामायण की अद्भुत प्रस्तुति दी। यह मूल रूप अनुवाद से कृतिवास के रामायण पर आधारित रहा।
यह वाल्मीकि का ही नहीं है अपितु उनकी कल्पनाशीलता भी इसमें थी। कृतिवास ने श्रीराम के कोमल पक्षों को उभारा है। इससे दर्शक भी भावुक हुए। पश्चिम बंगाल की टीम अपने सुमधुर बांग्ला भाषा में कथा का मंचन किया। साथ ही दंतेवाड़ा के सुदूर वनांचल क्षेत्र बचेली से आए रामायण मंडली ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इस टीम में महिला सशक्तिकरण की भी साफ झलक दिखाया। मंच में प्रारंभिक स्तुति महिला कलाकारों द्वारा की जा रही है। महिलाएं नृत्य के माध्यम से प्रस्तुति दे रहीं थीं, जो अद्भुत रहा।
शाम के बाद से बढ़ती गई श्रद्धालुओं की भीड़
कार्यक्रम को लेकर लोगों में खास उत्साह देखने को मिल रहा था। हालात यह थे कि जिले सहित आसपास जिले से भी लोग कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। इससे सुबह से लोगों का शहर में आना जारी रहा। दोपहर में ही लोग रामलीला मैदान पहुंच कर अपनी सीट सुरक्षित रखना चाहते थे। ऐसे में शाम से पहले ही लगभग पंडाल पूरी तरह से भर गया था। शाम के बाद और ज्यादा भीड़ बढ़ती गई।
भगवान राम ने सिखाया कोई कार्य कठिन नहीं : सीएम बघेल
राष्ट्रीय रामायण महोत्सव को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आयोजन को बहुत सफल बताया और सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि जिनका प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से योगदान है सब सभी को बधाई।मुख्यमंत्री ने कहा कि बाल कांड, सुंदर कांड को सुनते और देखते हैं, लेकिन अरण्य कांड पर पहली बार बड़ा आयोजन हुआ है।
हम नदियों को बचाने का कार्य कर रहे हैं। महानदी, इंद्रावती नदी और आज केलो नदी की महाआरती हम सबने मिलकर की। यह नरवा योजना का ही एक हिस्सा है, उन्होंने कहा कि आइए हम सब नदियों को बचाने का संकल्प लें। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि पहली बार किसी सरकार द्वारा ऐसा आयोजन हुआ। इसमें कंबोडिया और इंडोनेशिया जैसे देशों ने हिस्सा लिया। हम सब सुंदर कांड सुनते हैं। बाल कांड सुनते हैं। अरण्य कांड प्रकृति को लेकर है। भगवान राम ने हमें सिखाया है कि कोई कार्य कठिन नहीं है। हम प्रकृति के संरक्षण के लिए कार्य करते रहेंगे। वहीं उन्होंने कहा कि बालासोर में दु:खद हादसा पर श्रद्धांजलि अर्पित की।