दिल्ली: पिछले ढाई साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी जारी है। फिलहाल दुनिया के ज्यादातर देशों में ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स के कारण संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं। भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां ओमिक्रॉन BA.2 और BA.5 के कारण लोगों को संक्रमित पाया जा रहा है। अध्ययनों में इन वैरिएंट्स की संक्रामकता दर तो अधिक बताई जा रही है पर इससे संक्रमण की स्थिति में लोगों में गंभीर रोग का खतरा कम होता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स को सिर्फ उन लोगों के लिए ज्यादा गंभीर पाया जा रहा है जिनका या तो वैक्सीनेशन नहीं हुआ है या फिर वे पहले से ही कोमारबिडिटी के शिकार हैं।
ओमिक्रॉन से संक्रमण की स्थिति में गंभीर लक्षण भी नहीं देखे जा रहे हैं। इससे संक्रमण की स्थिति में फेफड़े-हृदय से संबंधित रोगों के मामले बहुत कम हैं। ज्यादातर लोगों में इसके एसिम्टोमैटिक लक्षण रहे हैं, वहीं जिनमें इसके लक्षण देखे जा रहे हैं उन्हें बुखार के साथ फ्लू जैसी समस्याएं बनी रह सकती हैं। हालांकि एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं में ओमिक्रॉन के BA.5 सब-वैरिएंट के कारण होने वाले लक्षणों में बड़ा बदलाव नोटिस किया है। गौरतलब है कि भारत में इन दिनों संक्रमण के ज्यादातर मामलों के लिए इसी सब-वैरिएंट को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। आइए जानते हैं कि अध्ययनों में क्या बात सामने आई है?
ओमिक्रॉन संक्रमण में बड़ा बदलाव
कोरोना संक्रमितों पर अलग-अलग देशों में किए गए अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस हेल्थ के अनुसार BA.5 से संक्रमितों में सामान्यतौर पर बुखार, नाक बहने, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान की समस्या सबसे ज्यादा देखी जा रही है। हालिया अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने बताया कि ओमिक्रॉन के शुरुआती दौर में लोगों में गंध में बदलाव जैसी समस्याएं देखी जाती रही थीं, हालांकि अब इसके मामले काफी कम हो गए हैं। कुछ लोगों में अब भी यह लक्षण देखे जा रहे हैं पर ऐसे मामले वैश्विक स्तर पर फिलहाल काफी कम हैं।
मस्तिष्क पर संक्रमण का असर हो गया है कम
BA.5 से संक्रमितों में गंध-स्वाद में बदलाव की समस्याओं का कम रिपोर्ट किया जाना इस बात का संकेत है कि यह वैरिएंट अब मस्तिष्क को कम प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों ने इस बदलाव के आधार पर उम्मीद जताई है कि संभवत: अब संक्रमितों में दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा भी कम हो सकता है। ओमिक्रॉन के शुरुआती दिनों में लोगों में गंध में बदलाव की दिक्कत देखी जा रही थी।
गंध में बदलाव की स्थिति तब आती है जब वायरस मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करने लगता है जिसके कारण इसकी अनुभूति होती है। हालांकि अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से कोरोना के वैरिएंट्स में म्यूटेशन देखा जा रहा है ऐसे में इसके संक्रमण के किसी भी स्थिति को हल्के में लेने की गलती करना भारी पड़ सकता है।
गले में खराश की समस्या
संक्रमितों पर किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि लोगों में अब भी गले में खराश प्रमुख लक्षण बना हुआ है जिसका संकेत है कि यह वैरिएंट अब भी गले की कोशिकाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 53 प्रतिशत ओमिक्रॉन संक्रमितों में गले में खराश की दिक्कत देखी गई है। तुलनात्मक तौर पर देखें तो अब तक के सबसे खतरनाक माने जाते रहे डेल्टा संक्रमण में सिर्फ 34 प्रतिशत लोगों में गले में खराश की समस्या थी।
ओमिक्रॉन के लक्षण हो गए हैं हल्के
अध्ययनों के विश्लेषण में शोधकर्ताओं ने पाया कि पिछले वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन वैरिएंट हल्के लक्षणों वाले होते जा रहे हैं, हालांकि कुछ स्थितियों में इसका खतरा बना रह सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लक्षणों की अवधि भी कम होती देखी जा रही है, जिससे पता चलता है कि हमारा शरीर अब कोरोना से आसानी से मुकाबला कर पाने में अधिक सक्षम है।
ZOE ऐप के आंकड़ों के अनुसार, ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में औसतन 6.87 दिनों तक लक्षण बने हुए देखे जा रहे हैं, जबकि डेल्टा वैरिएंट में 9 दिनों तक संक्रमण के लक्षण रहते थे।