नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के शीर्ष अधिकारी ने महात्मा गांधी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे और 2002 के गुजरात दंगों सहित कई विषयों को नये शैक्षणिक सत्र के लिए कक्षा 11 और 12 के राजनीति विज्ञान, इतिहास और समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तकों से ‘चुपचाप’ हटाने को ‘निगरानी का मामला’ बताया है. एनसीईआरटी ने हालांकि यह दावा किया है कि इस वर्ष पाठ्यक्रम में कोई काटछांट नहीं की गई है और पाठ्यक्रम को पिछले वर्ष जून में युक्तिसंगत बनाया गया था.
पिछले वर्ष पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने और कुछ अंशों के अप्रसांगिक होने के आधार पर एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ अंशों को पाठ्यपुस्तक से हटा दिया था. पाठ्यपुस्तक को युक्तिसंगत बनाने के नोट में महात्मा गांधी के अंश के बारे में कोई उल्लेख नहीं है.
एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी ने न्यूज़18 को बताया, ‘नई पाठ्यपुस्तकों के संदर्भों को युक्तिकरण प्रक्रिया के अनुसार हटा दिया गया है और इन्हें सूची में नहीं रखा जाना निगरानी का मामला हो सकता है.’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों से पैराग्राफ हटा दिए गए थे.
जिन अहम हिस्सों को किताबों से हटाया गया है उनमें शामिल हैं: ‘महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्पद्रायिक स्थिति पर प्रभाव, गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया’, महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध, नाथूराम गोडसे की पहचान ‘पुणे के ब्राह्मण’ के रूप में, 2002 के गुजरात दंगों सहित सांप्रदायिक हिंसा’.
किताबों में ये बदलाव एनसीईआरटी द्वारा जून 2022 में जारी की गई ‘तर्कसंगत सामग्री की सूची’ में शामिल नहीं हैं और परिवर्तन बिना किसी आधिकारिक अधिसूचना के सीधे नई पुस्तकों में पेश किए गए. पिछले साल जून में, एनसीईआरटी ने कोविड-19 महामारी के कारण छात्रों पर बोझ को कम करने के लिए कक्षा 6 से 12 तक के पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया था. पिछले साल किए गए बदलावों में मुगल दरबारों, आपातकाल, 2002 के गुजरात दंगों, शीत युद्ध और औद्योगिक क्रांति के सभी संदर्भों को हटाना शामिल था. कुछ दलित लेखकों को भी कक्षा 7 की पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया था.
कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की पुस्तक, पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस, में इस वर्ष और पिछले वर्ष के ‘महात्मा गांधी का बलिदान’ शीर्षक वाले अध्याय के पाठ की तुलना से पता चलता है कि गांधी के संदर्भ – ‘उन्हें विशेष रूप से उन लोगों द्वारा नापसंद किया गया था जो चाहते थे कि हिंदू बदला लें… गांधी की हिंदू-मुस्लिम एकता की दृढ़ इच्छा ने हिंदू चरमपंथियों को इतना उकसाया कि उन्होंने गांधीजी की हत्या के कई प्रयास किए…’ यह पुनर्मुद्रित संस्करण में गायब है.
एनसीईआरटी की वेबसाइट पर एक नोट में कहा गया है, ‘कोविड-19 महामारी के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि छात्रों पर पाठ्यसामग्री के बोझ को कम किया जाए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्य सामग्री के बोझ को कम करने और रचनात्मक सोच का उपयोग करके अनुभव के आधार पर सीखने पर जोर दिया गया है. इस परिप्रेक्ष्य में सभी कक्षाओं में और सभी विषयों में पाठ्यपुस्तकों को युक्ति संगत बनाने का कार्य शुरू किया गया है.’
इसमें कहा गया है कि वर्तमान संस्करण बदलाव के बाद नये रूप में तैयार संस्करण है और वर्तमान पाठ्यपुस्तक युक्तिसंगत पुस्तक है. इन्हें वर्ष 2022-23 में युक्ति संगत बनाया गया था और 2023-24 में भी जारी रहेगा. शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नये पाठ्यक्रम ढांचे पर अभी भी काम चल रहा है और नई पाठ्यचर्या अकादमिक सत्र 2024 से पेश की जाएगी.