श्रद्धा और आस्था का प्रतीक राजिम कुंभ कल्प की आज से शुरुआत हो गई है. राजिम कुंभ कल्प में शामिल होने के लिए देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु राजिम पहुंचने लगे हैं. वहीं शनिवार सुबह से श्रद्धालुओं के त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला सुबह 4 बजे से ही शुरू हो गया है. जो आज दिनभर जारी रहेगा.
पौराणिक मान्यता के मुताबिक वैसे तो देश में अनादिकाल से हर वर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक राजिम मेला आयोजित होता है. देश-विदेश के लाखों लोग राजिम के पवित्र त्रिवेणी में उसी आस्था और विश्वास के साथ डुबकी लगाते हैं.
जानिए राजिम कुंभ के बारे में
राजिम कुंभ कल्प की अपनी एक अलग ही पहचान है. पैरी, सोंढूर और महानदी, तीन नदियों के संगम स्थल राजिम त्रिवेणी संगम पर ये राजिम कुंभ कल्प आयोजित होता है. त्रिवेणी संगम के एक तट पर भगवान विष्णु श्री राजीवलोचन विराजमान है, और दूसरे तट पर सप्तऋषियों में से एक लोमश ऋषि का आश्रम विद्यमान है. त्रिवेणी संगम के बीच खुद महादेव कुलेश्वरनाथ के रुप में स्थापित है. वैसे तो श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने का सिलसिला सालभर लगा रहता है, मगर राजिम कुम्भ के समय श्रद्धालूओं के पहुंचने की संख्या कई गुणा बढ़ जाती है.
आदिवासियों का मेला
राजिम का माघ पूर्णिमा मेला पूरे भारत में प्रसिद्ध है. छत्तीसगढ़ के लाखों आदिवासी और श्रद्धालु इस मेले में जुटते हैं. छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहे जाने वाले त्रिवेणी संगम पर डूबकी लगाते हैं. राजिम कुंभ (कल्प) मेला 24 फरवरी से शुरू होकर 08 मार्च तक चलेगा. मेले का शुभारंभ 24 फरवरी को शाम सात बजे आचार्य महामण्डलेश्वर अग्नि पीठाधीश्वर ब्रम्हर्षि रामकृष्णनंद जी महाराज करेंगे.
पापों से मुक्ति मिलेगी
हटकेश्वर महादेव मंदिर पुजारियों की माने तो यहां पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य में वृद्धि होती है. इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु हटकेश्वर महादेव की पूजा करते है.