27 हजार करोड़ के मिसाइल पोत-हथियार खरीदे जाएंगे, सरकार ने स्वदेशी कंपनियों से किया सौदा

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दिल्ली: आत्मनिर्भर भारत अभियान को और मजबूती देते हुए रक्षा मंत्रालय ने करीब 27 हजार करोड़ रुपये के हथियारों, समुद्री पोतों, मिसाइल प्रणालियों व अन्य उपकरणों की खरीद का सौदा किया है। सभी सौदे भारतीय कंपनियों के साथ किए गए हैं।

सबसे अधिक 19,600 करोड़ रुपये का रक्षा सौदा नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के 11 गश्ती पोतों और छह मिसाइल युक्त पोतों की खरीद के लिए किया गया है। वहीं, थल सेना ने भारत डायनेमिक्स लि. (बीडीएल) के साथ 6,000 करोड़ रुपये के आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की दो रेजिमेंट की खरीद का सौदा किया है। इसके अलावा, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बीईएल) को 13 लाइनेक्स-यू2 फायर कंट्रोल सिस्टम के लिए 1,700 करोड़ रुपये का सौदा हुआ है।

चीन सीमा पर क्षमता बढ़ाएगा आकाश
आकाश मिसाइल प्रणाली को चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा के ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा। इससे सेना की रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी होगी। वर्तमान आकाश मिसाइल के मुकाबले इस उन्नत मिसाइल प्रणाली में स्वदेशी एक्टिव रेडियो फ्रिक्वेंसी (आरएफ) सीकर का इस्तेमाल किया गया है जो इसे ज्यादा सटीक बनाती है।

9,781 करोड़ में गश्ती पोतों का सौदा
11 गश्ती पोतों के निर्माण का ठेका गोवा शिपयार्ड लि. (जीएसएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डिंग एंड इंजीनियर्स (जीआरएससी), कोलकाता को दिया गया है। यह सौदा 9,781 करोड़ रुपये में हुआ है। 7 का निर्माण जीएसएल जबकि 4 का जीआरएसी को करना है और ये पूरी तरह स्वदेशी पोत होंगे।

2027 के मार्च में होगी एनजीएमवी की आपूर्ति
रक्षा मंत्रालय ने अगली पीढ़ी के छह मिसाइल युक्त पोतों (एनजीएमवी) की खरीद का सौदा कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के साथ किया है। यह सौदा 9,805 करोड़ रुपये का है। इन पोतों की आपूर्ति मार्च 2027 से आरंभ होगी। एनजीएमवी पूरी तरह सशस्त्र पोत होंगे जिसमें स्टिल्थ, तेज रफ्तार और आधुनिक मारक क्षमता होगी। इनका प्राथमिक लक्ष्य समुद्र में दुश्मन के पोतों के खिलाफ आक्रमण क्षमता उपलब्ध करना होगा। इन पोतों का निर्माण देश में 45 लाख मानव श्रम दिवस का सृजन करेगा। इसके अलावा रक्षा मंत्रालय ने 12 वेपन लोकेटिंग रडार(डब्ल्यूएलआर) स्वाति की खरीद का सौदा भी किया है। स्वाति की खरीद का सौदा भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के साथ 990 करोड़ रुपये में किया गया है।