‘सिद्धू खूंखार जानवर हैं, उनसे दूर रहें…’, जेल से रिहा न होने पर पत्नी नवजोत कौर का फूटा गुस्सा

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पटियाला जेल में बंद नवजोत सिंह सिद्धू के गुरुवार को गणतंत्र दिवस पर छूटने की उम्मीद थी लेकिन पंजाब की AAP सरकार ने उन्हें छोड़ने पर कोई फैसला नहीं लिया. इसको लेकर पंजाब कांग्रेस के कई नेताओं ने AAP सरकार की आलोचना की. इस फैसले को लेकर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रमुख शमशेर सिंह ढुलो, पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी, पूर्व विधायक अश्विनी सेखरी, नवतेज सिंह चीमा और राजिंदर सिंह आप सरकार के विरोध में पटियाला में सिद्धू के आवास पर एकजुट हुए. वहीं सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने ट्वीट किया- “नवजोत सिंह सिद्धू खूंखार जानवर की श्रेणी में आते हैं, इसलिए सरकार उन्हें आजादी के 75वें वर्ष पर राहत नहीं देना चाहती है. आप सभी से अपील है कि उनसे दूर रहें. सिद्धू 1988 के रोड रेज मौत के मामले में एक साल की सजा काट रहे हैं.

कैदियों के साथ अन्याय किया

दरअसल उम्मीद की जा रही थी कि सिद्धू उन 50 कैदियों में शामिल हो सकते हैं, जिन्हें गणतंत्र दिवस पर विशेष छूट दी जा सकती है लेकिन जब दिन आया तो सिद्धू की रिहाई पर राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया. शमशेर सिंह ढुलो ने पटियाला में मीडिया से कहा कि 26 जनवरी और 15 अगस्त को राज्यों द्वारा अच्छे व्यवहार वाले कुछ कैदियों को विशेष छूट दी जाती है.

उन्होंने दावा किया कि सिद्धू का नाम उन 51 कैदियों की सूची में शामिल था, जो गणतंत्र दिवस पर जल्द रिहाई के पात्र थे लेकिन लगता है कि सिद्धू के खिलाफ पंजाब और केंद्र सरकार का जो ‘सिद्धूफोबिया’ है, वह अब भी दूर नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसी भी कैदी को विशेष छूट न देकर न सिर्फ सिद्धू, बल्कि अन्य कैदियों के साथ भी अन्याय किया है.

भगवंत मान ने की कायरता

इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैहरा ने ट्वीट किया, “प्रिय भगवंत मान, यह कायरता है कि कि आपने आज नवजोत सिंह सिद्धू को रिहा नहीं किया! आपने न केवल नवजोत सिद्धू बल्कि उन सभी कैदियों के खिलाफ भी घृणा और बदले की भावना देखाई है, जिन्हेंगणतंत्र दिवस के चलते रिहा किया जा सकता था.”

एक साल की सजा काट रहे हैं सिद्धू

सिद्धू के समर्थकों ने उनकी रिहाई की उम्मीद में पटियाला में उनके स्वागत की तैयारी की थी. पिछले साल 20 मई को पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद पटियाला अदालत में आत्मसमर्पण करने के बाद जेल में डाल दिया था.

SC ने मई 2018 में सिद्धू को “स्वेच्छा से चोट पहुंचाने” का दोषी ठहराया था, लेकिन इसने उन्हें जेल की सजा सुनाई थी और उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि अपर्याप्त सजा देने में कोई भी सहानुभूति न्याय प्रणाली को अधिक नुकसान पहुंचाएगी और कानून की क्षमता में जनता के विश्वास को कमजोर करेगी.