ये सवाल अक्सर लोगों के जेहन में आता है कि, ऑटोमेटिक या मैनुअल… कौन सी कार आपके लिए बेहतर होगी. नई कार खरीदते वक्त मॉडल का चयन हो जाने के बाद ट्रांसमिशन को लेकर अधिकतर लोगों में कंफ्यूजन रहता है. आमतौर पर ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारें गियर बदलने के झंझट से मुक्त करती हैं और आज के समय में महानगरों में बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए इसे काफी प्रासंगिक भी माना जाता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें बेहतर नहीं होती है. आज हम आपको मैनुअल और ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में बताएंगे.
क्या होता है मैनुअल ट्रांसमिशन का मैकेनिज़्म:
सबसे पहले जानते हैं कि, मैनुअल ट्रांसमिशन क्या होता है. जैसा कि आप सभी कारों में देखते हैं कि, एक गियर लीवर दिया जाता है, जिसके उपर नॉब पर ट्रांसमिशन यानी कि गियर पोजिशन बदलने के संकेत दिए गए होते हैं. इसे ऑपरेट करने के लिए चालक को क्लच दबाकर कार की स्पीड के आधार पर गियर बदलना होता है. ये बहुत ही पुरानी प्रणाली है और सबसे ज्यादा चलन में रहती है. इस सिस्टम में कार का गियर पूरी तरह चालक के कंट्रोल में रहता है.
कैसे काम करता है मैनुअल ट्रांसमिशन:
क्लच पेडल को दबाना: गियर बदलते समय, चालक क्लच पेडल को दबाता है, जो इंजन और ट्रांसमिशन को अलग करता है.
क्लच प्लेट का काम: इससे इंजन से गियर बॉक्स तक गति का संचारण रुक जाता है, ताकि गियर बदला जा सके.
शिफ्ट लीवर का उपयोग: चालक गियर बदलने के लिए शिफ्ट लीवर को स्पीड के अनुसार नंबर 1, 2 या जैसी जरूरत हो उस तरह मूव करता है.
गियर बदलना: शिफ्ट लीवर की स्थिति गियर रेशियो को निर्धारित करती है, जो वाहन की गति को नियंत्रित करता है.
क्लच छोड़ना: चालक धीरे से क्लच पेडल को छोड़ता है, जिससे इंजन और गियर बॉक्स के बीच कनेक्शन फिर से बन जाता है और गाड़ी आगे बढ़ती है.
मैनुअल ट्रांसमिशन कारों के फायदे:
कम खर्च: मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें ऑटोमेटिक कारों की तुलना में कम खर्चीली होती हैं, इनकी कीमत और इंश्योरेंस प्रीमियम दोनों कम होती है.
ज्यादा माइलेज: मैनुअल ट्रांसमिशन कारें ऑटोमेटिक कारों के मुकाबले ज्यादा माइलेज देती हैं.
स्पोर्टी फील: मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें ड्राइविंग को स्पोर्टी और रोमांचक बनाती हैं.
बेहतर नियंत्रण: मैनुअल ट्रांसमिशन कारें चालक को गियर बदलने की सुविधा देती हैं, जिससे कार पर आपका कंट्रोल बढ़ जाता है.
मैनुअल ट्रांसमिशन कारों के नुकसान:
स्ट्रेस और थकावट: मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारें चलाने में थकावट और स्ट्रेस देती हैं, खासकर शहरी ट्रैफिक में.
गियर बदलना: मैनुअल ट्रांसमिशन वाली कारों में चालक को गियर बदलना पड़ता है, जो नए ड्राइवर्स के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
रीसेल वैल्यू: मैनुअल कार को जब आप बेचते हैं तो ऑटोमेटिक की तुलना में इसकी रीसेल वैल्यू कम होती है.
इसी तरह, ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारों में अलग-अलग फायदे और नुकसान होते हैं. लेकिन सबसे पहले आपको ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन को बारीकी से समझना जरूरी है कि, आखिर ये ट्रांसमिशन क्या होता है और कैसे काम करता है.
क्या होता है ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन:
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन कारों में दिया जाने वाला ट्रांसमिशन का एक प्रकार होता है, हालांकि ये कई अलग-अलग टाइप्स में आते हैं मसलन, AMT, डुअल क्लच ट्रांसमिशन (DCT), वेरिएबल कंटिन्यूअस ट्रांसमिशन (CVT), और डायरेक्ट शिफ्ट गियरबॉक्स (DSG) इत्यादि. आम भाषा में समझें तो यह एक प्रकार का गियरबॉक्स होता है जो गियर चेंज को आसान बनाता है और चालक को क्लच कंपनेंस की ज़रूरत नहीं पड़ती. इसमें गियर बदलने का काम आपकी गाड़ी के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिक तरीके से किया जाता है, ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में एक या अधिक गियर रेंज और कंट्रोल विकल्प होते हैं जो आपको विभिन्न गति में गाड़ी चलाने में मदद करते हैं.
कैसे काम करता है ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन:
आमतौर पर ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन के लीवर में चार मोड्स दिए जाते हैं, जिसमें (P) पार्किंग, (R) रिवर्स, (N) न्यूट्रल, (D) ड्राइव शामिल होते हैं. कुछ कारों में (S) स्पोर्ट मोड जैसा विकल्प भी मिलता है. जब आप ट्रांसमिशन लीवर को (D) ड्राइव मोड में डालते हैं तो इसका सिस्टम गाड़ी के स्पीड, रेव्स, और ड्राइविंग कंडिशन के आधार पर गियर चेंज करता है और इसके लिए आपको बार-बार गियर बदलने की जरूर नहीं होती है. टोमेटिक ट्रांसमिशन गियरबॉक्स में टोर्क कनवर्टर होता है, जो इंजन के पावर को ट्रांसमिशन तक पहुंचाता है. इस गियरबॉक्स में एक सीरीज़ ऑफ प्लेट्स और क्लचेज़ होते हैं जो गियर्स को बदलने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इन्हें हाइड्रोलिक प्रणाली से क्ंट्रोल किया जाता है.
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन का मैकेनिज़्म:
टॉर्क कनवर्टर: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन गियरबॉक्स में टॉर्क कनवर्टर होता है, जो इंजन के पावर को ट्रांसमिशन तक पहुंचाता है.
प्लेट्स और क्लचेज़: इस गियरबॉक्स में एक सीरीज़ ऑफ प्लेट्स और क्लचेज़ होते हैं जो गियर्स को बदलने के लिए जिम्मेदार होते हैं. इन्हें हाइड्रोलिक सिस्टम से कंट्रोल किया जाता है.
विभिन्न गियर रेंज: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन में विभिन्न गियर रेंज होते हैं जैसे कि पार्क (P), रिवर्स (R), न्यूट्रल (N), ड्राइव (D), और लो (L). ये गियर रेंज आपको गाड़ी को अलग-अलग स्पीड में चलाने की सुविधा देते हैं.
इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन गियरबॉक्स को आपकी गाड़ी के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से कंट्रोल किया जाता है. यह गाड़ी के स्पीड, रेव्स, और ड्राइविंग कंडिशन के आधार पर गियर चेंज करता है.
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन कारों के फायदे:
सुविधाजनक: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारों की ड्राइविंग बेहद सुविधाजनक होती हैं, चालक को क्लच छोड़ने या गियर पोजिशन देखने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ एक पेडल को दबाकर कार चलाई जा सकती है.
ट्रैफिक में आसानी: जब आप शहरी ट्रैफिक में होते हैं, तो ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कार से आपको बार-बार गियर बदलने की जरूरत नहीं होती, जिससे ड्राइविंग आसान हो जाती है.
फ्रीडम: यदि आपको ड्राइविंग का ज्यादा अनुभव नहीं है, तो ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारें आपको ईजी ड्राइविंग की स्वतंत्रता प्रदान करती है.
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन कारों के नुकसान:
अधिक खर्च: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारें मैनुअल कारों की तुलना में अधिक महंगी होती हैं, इनका बीमा और मेंटनेंस भी ज्यादा होता है.
कम माइलेज: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन कारें मैनुअल कारों की तुलना में कम माइलेज देती हैं, जिसके कारण फ्यूल खर्च बढ़ जाता है.
स्पोर्टी फील नहीं: ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन वाली कारें आराम तो देती हैं, लेकिन इनमें स्पोर्टी फील नहीं मिलती है.
ऑटोमेटिक ट्रांसमिशन कारें उनके लिए मुफीद मानी जाती हैं, जिन्हें गियर चेंज करने और क्लच को कंट्रोल करने में परेशानी होती है. यह कारें शहरी ट्रैफिक और लंबी यात्राओं में आसानी से चलाई जा सकती हैं और इनकी ड्राइविंग बहुत ही आरामदायक होती हैं.