भाजपा के संविधान में हुआ बड़ा बदलाव, जानें किसकी बढ़ी ताकत, क्यों लिया गया ये फैसला

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नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा जून 2024 तक पार्टी की कमान संभालते रहेंगे. पिछले वर्ष पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नड्डा के कार्यकाल को बढ़ाने को लेकर लिए गए फैसले पर रविवार को राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक में भी मुहर लगा दी गई. दरअसल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने पिछले वर्ष ही जेपी नड्डा के कार्यकाल को जून 2024 तक बढ़ाने का फैसला किया था.

पार्टी के संसदीय बोर्ड के फैसले के बाद पिछले वर्ष जनवरी 2023 में दिल्ली में हुई भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जून 2024 तक जेपी नड्डा के अध्यक्षीय कार्यकाल को बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी और पार्टी संविधान के नियमों का पालन करते हुए अब कार्यकारिणी के फैसले को राष्ट्रीय अधिवेशन ने भी अनुमोदित कर दिया है.

इसके साथ ही बैठक में पार्टी के संविधान में संशोधन करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड को और ज्यादा ताकतवर बना दिया गया है. भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने राष्ट्रीय अधिवेशन की बैठक के दूसरे और अंतिम दिन पार्टी संविधान के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया. भाजपा ने पार्टी संविधान में संशोधन करते हुए अब पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई संसदीय बोर्ड को आपात स्थिति में पार्टी अध्यक्ष से संबंधित फैसला लेने की शक्ति दे दी है.

संशोधन के मुताबिक, अब पार्टी का संसदीय बोर्ड परिस्थिति के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल को बढ़ाने या घटाने का फैसला कर सकता है. यह भी संशोधन किया गया है कि संसदीय बोर्ड में कोई भी नया सदस्य बनाने या हटाने का अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा. हालांकि अध्यक्ष के फैसलों को बाद में मंजूरी (अनुमोदन) के लिए संसदीय बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा. भाजपा का संविधान संशोधन कर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया गया.

जाहिर तौर पर, पार्टी अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड की शक्तियों को बढ़ाया गया है, हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि संसदीय बोर्ड किसी नेता को दो ही बार अध्यक्ष बना सकती है या उससे ज्यादा बार भी अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है.

पार्टी में अब तक चले आ रहे नियमों के अनुसार, पार्टी अध्यक्ष का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सभी सदस्य शामिल होते हैं, लेकिन इससे पहले पार्टी को जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक चुनाव की लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता हैं. पुराने नियमों में एक शर्त यह भी थी कि कोई भी नेता पूरे कार्यकाल के लिए सिर्फ दो बार ही लगातार अध्यक्ष चुना जा सकता है.

 

पार्टी संविधान की धारा-19 के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष वही व्यक्ति हो सकेगा जो कम-से-कम चार अवधियों तक सक्रिय सदस्य और कम-से-कम 15 वर्ष तक प्राथमिक सदस्य रहा हो. निर्वाचक मंडल में से कोई भी बीस सदस्य राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव की अर्हता रखने वाले व्यक्ति के नाम का संयुक्त रूप से प्रस्ताव कर सकेंगे. यह संयुक्त प्रस्ताव कम-से-कम ऐसे पांच प्रदेशों से आना जरूरी है, जहां राष्ट्रीय परिषद के चुनाव संपन्न हो चुके हों. नामांकन पत्र पर उम्मीदवार की स्वीकृति जरूरी है.