अंबिकापुर। अंबिकापुर से कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव को आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का नोटिस जारी किया गया है। स्वास्थ्य विभाग तथा विकास कार्यो की उपलब्धियों का वीडियो इंटरनेट मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म में उपयोग करने के कारण यह नोटिस जारी की गई है।
भाजपा के आलोक दुबे ने वीडियो और इंटरनेट मीडिया के अपलोड पोस्ट के साथ भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी को लिखित ज्ञापन सौंपकर सिंहदेव पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगाया था। इसी शिकायत के आधार पर अंबिकापुर की रिटर्निंग आफिसर पूजा बंसल ने नोटिस जारी कर जबाब मांगा हैं।
आदर्श आचार संहिता का उल्लघंन किये जाने के संबंध में विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 10 अंबिकापुर के इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रत्याशी व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी किया गया है। रिटर्निंग अधिकारी विधानसभा अंबिकापुर ने बताया कि आवेदक आलोक दुबे की शिकायत को संज्ञान में लिया गया है।
आलोक दुबे ने शिकायत की थी कि सिंहदेव आधिकारिक इंटरनेट मीडिया फेसबुक अकाउंट में बिना अनुमति स्वास्थ्य विभाग एवं अंबिकापुर मेडिकल कालेज, चिकित्सकों एवं चिकित्सकीय सुविधाओं का प्रचार-प्रसार किया गया है। साथ ही शासकीय योजना के प्रचार में चुनाव चिन्ह प्रदर्शित किया गया है।
विकास कार्यों को लेकर भी चुनाव चिन्ह के साथ इंटरनेट मीडिया में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है जो आचार संहिता का उल्लंघन है। रिटर्निंग आफिसर पूजा बंसल ने नोटिस में कहा है कि विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर में आदर्श आचार संहिता नौ अक्टूबर 2023 से लागू है, परंतु पार्टी का चुनाव चिन्ह का प्रयोग करते हुए व्यक्तिगत उपलब्धियों को दर्शाने के लिए शासकीय संस्था का प्रयोग किया गया है, जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। प्रत्याशी को एक दिवस के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने कहा गया है अन्यथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अनूप मेहता ने टीएस सिंहदेव को जारी नोटिस को लेकर कहा है कि भाजपा पार्षद आलोक दुबे द्वारा उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव के प्रति राजनीतिक द्वेषवश एवं दुर्भावना के कारण निरंतर उनके विरुद्ध आधारहीन और अनर्गल आरोप लगा कर शिकायत की जाती है। निर्वाचन आयोग के समक्ष उनके द्वारा की गई शिकायत इसी की एक कड़ी का हिस्सा है। हमने इसका जवाब निर्वाचन आयोग को दे दिया है। हाल ही में भाजपा पार्षद को उपमुख्यमंत्री के विरुद्ध आधारहीन शिकायतों में उच्च न्यायालय से मुंह की खानी पड़ी है।