रायगढ़ के रामलीला मैदान में तीन दिवसीय ‘राष्ट्रीय रामायण महोत्सव’ का आज तीसरा और अंतिम दिन है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंच से सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम हमारे दिलों में हैं, हमारे जीवन में हैं। राम नाम का रस ही ऐसा है, जितना सुनिएगा, जितना मनन करिएगा, राम रस की प्यास उतनी बढ़ती जाती है। हमारे राम कौशल्या के राम, वनवासी राम, शबरी के राम, हमारे भांचा राम और हम सबके राम हैं। तीन दिनों तक चले इस महोत्सव में रायगढ़ राममयगढ़ हो गया। इस महोत्सव में नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। तीन दिनों तक पंडाल खचाखच भरा रहा। बड़ी संख्या में पड़ोसी राज्यों से भी इस महोत्सव में शामिल होने के लिए मेहमान आए। उन्होंने कहा कि इस दौरान जिससे भी मिले सभी दोहे और चौपाई गुनगुनाते मिले।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के रूप में किया गया था, लेकिन कंबोडिया, इंडोनेशिया के रामायण दलों के आने से इसका स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय हो गया। उन्होंने जूरी मेम्बरों के विचारों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कहा-हमने देश के विभिन्न हिस्सों में केवल भगवान श्रीराम के बाल्य-काल, रामलीला जैसे अध्यायों का मंचन देखा है। यह पहली बार है कि भगवान राम के अरण्यकाण्ड का मंचन देखने को मिल रहा है। श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहली बार राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया, जो सफल रहा। इस आयोजन में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी लोगों को बधाई।
मैथिली ठाकुर की शानदार प्रस्तुति
मैथिली ठाकुर ने मिथिला के गीत सुनाए कि कैसे श्रीराम का सत्कार होता है वहां। मैथिली लोकगीतों से श्रीराम के मिथिला प्रवास का वर्णन किया। मुख्यमंत्री बघेल के मन मे भी यह सुनकर गहरे भाव आये और वे भी खड़े हो गए और तालियों से मैथिली और दल का हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने मैथिली ठाकुर को रामचरित मानस की प्रति एवं पुष्पगुच्छ भेंटकर किया सम्मानित।
डॉ कुमार विश्वास द्वारा अपने-अपने राम कार्यक्रम की प्रस्तुति
डॉ कुमार विश्वास द्वारा अपने अपने राम कार्यक्रम की प्रस्तुति दी जा रही है। उन्होंने कहा- पूरे भारत मे आज शोक का जो प्रसंग हुआ उन्हें प्रार्थना करता हूँ कि ईश्वर उन्हें अपने चरण में स्थान दें। आज माता जानकी के घर से आई एक बिटिया ने सुंदर गीत गाया। यहां 30 बरस से आ रहा हूँ। मुझे पहले पता नहीं था कि मेरे राम का यहां इतना अधिक प्रभाव है। मुख्यमंत्री का आभार है और उनका सौभाग्य है कि वे राम के लिए इतना सुंदर कार्य कर रहे हैं। मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ। तुलसी और वाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ। लेकिन वतन की खाक से बाहर नहीं हूं मैं। वो राम जिसका नाम है जादू लिये हुए। और इस प्रकार राम का चरित्र है।