नई दिल्ली: भारत में समलैंगिक विवाह (Same-Sex Marriage) को कानूनी मान्यता मिलेगी या नहीं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. सनुवाई के दौरान देश के विभिन्न हाईकोर्ट में इस संबंध में दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रासफंर करने वाली याचिकाओं पर भी बहस होगी. पिछले साल 14 दिसंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने देश में अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाले समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था. वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने इस मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस केस में कई लोग रुचि रखते हैं, लिहाजा सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जानी चाहिए. उनकी मांग पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि जब सुनवाई होगी तो हम इस पर विचार करेंगे.
अगर भारत में सेम जेंडर मैरिज लीगल होता है, तो हम ऐसा करने वाले दुनिया के 33वें देश होंगे. दुनिया के 32 देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त है. नीदरलैंड ने सबसे पहले सेम जेंडर मैरिज को लीगल किया था. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी सेम जेंडर मैरिज को कानूनी मान्यता देने की घोषणा की थी. अमेरिकी संसद ने इस तरह की शादियों से संबंधित बिल पास सिया था, जिसमें इसे सामान्य शादियों की तरह ही मान्यता दी गई थी. इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि, प्यार-प्यार होता है. उन्होंने इस बिल पर मुहर लगाते हुए खुशी जाहिर की थी और कहा था कि अमेरिका का LGBTQ समुदाय अब अपना जीवनसाथी चुनने, फैमिली बनाने और खुशहाल जीवन जीने के लिए स्वतंत्र है.
क्या है सेम जेंडर मैरिज?
सेम जेंडर मैरिज, सेम सेक्स मैरिज या हिंदी में कहें तो समलैंगिक विवाह. इस तरह के विवाह में लड़की अपनी पसंद की लड़की से या लड़के अपने पसंद के लड़के को अपना जीवनसाथी चुनते हैं. भारत में फिलहाल इस तरह की शादियों के लिए किसी तरह का कानूनी प्रावधान नहीं है. हालांकि, इस तरह के रिश्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि संबंध रखे जा सकते हैं, अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो तो. दुनिया के 32 देश ऐसे हैं, जो अपने यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता दे चुके हैं. नीदरलैंड में 1 अप्रैल, 2000 को सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता दी थी. सेम जेंडर मैरिज को मान्यता देने वाले ज्यादातर देश यूरोपीय या दक्षिण अमेरिकी हैं. अब भारत में भी सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं कि वह इस मामले में क्या फैसला देता है.