Narendra Modi

12945/40 ....RO NO....

एक ऑस्कर अवॉर्ड जीतने से आखिर क्या बदल जाता है? क्यों है इसकी दीवानगी

0
263

‘नाटू नाटू’ के लिए ऑस्कर अवॉर्ड जीतने के बाद, गाने के कम्पोजर एमएम कीरावानी की स्पीच खूब देखी जा रही है. सिर्फ कीरावानी ही नहीं, हर साल सभी ऑस्कर विनर्स की स्पीच बहुत चर्चा में रहती है. हाथ में चमचमाती गोल्डन ट्रॉफी थामे, उसे निहारते हुए स्पीच देते ऑस्कर विनर्स गर्व से भरे होते हैं और इसे लाइफ का सबसे शानदार मोमेंट बताते हैं.

दुनिया भर में हर साल, हर फिल्म इंडस्ट्री में ढेरों फिल्में बनती हैं. इनमें से कई फिल्में अपने देश से लेकर विदेशों तक और इंटरनेशनल सिनेमा इवेंट्स में तमाम अवॉर्ड्स भी जीतती हैं. लेकिन ऑस्कर जीतने की खुशी और सेलिब्रेशन ही अलग होता है. RRR की ऑस्कर जीत पर बधाई देते ट्वीट और पोस्ट सोशल मीडिया पर भरे पड़े हैं.

काम को दुनिया भर में मिलती है पहचान
ए आर रहमान को 2008 में आई ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के लिए दो ऑस्कर अवॉर्ड मिले थे. एक ‘बेस्ट ऑरिजिनल स्कोर’ कैटेगरी में और दूसरा ‘जय हो’ के लिए ‘बेस्ट ऑरिजिनल सॉंग’ कैटेगरी में, जो उन्होंने लिरिसिस्ट गुलजार के साथ शेयर किया था. कई साल बाद मिड डे से एक बातचीत में रहमान ने कहा कि ऑस्कर जीतने के बाद उनके पास ऑप्शन इतने हैं कि चुन पाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘पहले सिर्फ गिने-चुने दरवाजे खुले होने पर मेरे लिए चुनना आसान था, लेकिन अब हर दरवाजा खुला है. मैं एक पॉप आर्टिस्ट बन सकता हूं, हॉलीवुड कम्पोजर बन सकता हूं और यहां तक कि फिल्म प्रोड्यूसर भी. लेकिन मैं चुनूं क्या?’

हॉलीवुड एक्ट्रेस ग्वेनेथ पेल्ट्रो को 1998 में ‘बेस्ट एक्ट्रेस’ का ऑस्कर अवॉर्ड मिला था. कुछ साल पहले ऑस्कर के बाद आने वाले बदलाव के बारे में बात करते हुए पेल्ट्रो ने कहा था, ‘मुझे लगता है आप एक अलग दुनिया में पहुंच जाते हैं जहां सब आपको पहचानते हैं.’ इसका एक बड़ा फायदा कलाकार की फीस को भी होता है.

ऑस्कर मिलने के बाद से रहमान की इंटरनेशनल पॉपुलैरिटी ने उन्हें दुनिया भर से बहुत काम दिलवाया. हालांकि ये उनकी अपनी चॉइस और एनर्जी पर था कि वो किसपर काम करना चाहते हैं, किसपर नहीं. लेकिन मार्वल की ‘अवेंजर्स: एंडगेम’ के समय मार्वल एंथेम बनाना, इंटरनेशनल बैंड्स के साथ काम करना और दुनिया भर में एक से बढ़कर एक वेन्यू पर कॉन्सर्ट करने के मौके उन्हें ऑस्कर से मिली पहचान के बाद ही मिले हैं.

ऑस्कर जीत के बाद ही उन्हें 2010 में आई ‘127 Hours’ के लिए म्यूजिक कम्पोज करने का मौका मिला, जिसके लिए वो फिर 2 कैटेगरी में ऑस्कर्स में नॉमिनेट हुए. ‘नाटू नाटू’ के कम्पोजर एमएम कीरावानी को यकीनन अब इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स के लिए म्यूजिक कम्पोज करने के ऑफर मिलने लगेंगे. वो इन्हें स्वीकारते हैं या नहीं, ये उनकी चॉइस है.

टेक्नीशियन और एक पूरी इंडस्ट्री का भला
RRR देखकर दुनिया के अचंभित रह जाने का एक बड़ा कारण फिल्म के विजुअल भी थे. हेवी VFX और CGI वाली फिल्मों के लिए एक पूरी अलग तकनीक से शूट किया जाता है. RRR के विजुअल्स अच्छे बने हैं तो इनपर काम करने वाली हर कंपनी और हर टेक्नीशियन को अब और ज्यादा काम मिलेगा. जैसे- अगली बार इंडिया में जब कोई इस तरह का प्रोजेक्ट बनेगा तो फिल्ममेकर को याद रहेगा कि RRR के विजुअल इफेक्ट्स सुपरवाइजर वी श्रीनिवास मोहन को टीम में लिया जा सकता है.

RRR एक हेवी VFX वाली फिल्म है. भारत की VFX इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है और कई बड़ी ऑस्कर जीतने वाली फिल्में यहां प्रोसेस हुई हैं. FICCI की एक रिपोर्ट बताती है कि 2021 में भारत का VFX सेक्टर 103 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पोस्ट-प्रोडक्शन इंडस्ट्री में 49 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है.

RRR के VFX पर कई कंपनियों ने काम किया है. इन्हीं में से एक फैंटम डिजिटल इफेक्ट्स भी है. बिजनेस में दिलचस्पी रखने वाले लोग RRR की रिलीज का असर इस तरह समझ सकते हैं कि फैंटम डिजिटल इफेक्ट्स का स्टॉक 21 अक्टूबर, 2022 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज NSE (SME) पर लिस्ट हुआ था. लिस्टिंग डे पर ही ये स्टॉक प्रति शेयर 95 रुपये कीमत पर खुला और एक पॉइंट पर 229 प्रतिशत की जबरदस्त उछाल के साथ 312.7 रुपये प्रति शेयर पर पहुंच गया. कंपनी ने आईपीओ के लिए लॉट का साइज 1200 शेयर का तय किया था, यानी जिस इन्वेस्टर को IPO में ये शेयर हाथ लगे होंगे उसने 1 लाख 14 हजार रुपये की इन्वेस्टमेंट पर, 2 लाख 61 हजार की जबरदस्त कमाई कर ली होगी.

राजामौली की अगली फिल्म को इंटरनेशनल मार्किट में फायदा
RRR ने ‘बेस्ट पिक्चर’ या ‘बेस्ट डायरेक्टर’ की कैटेगरी में ऑस्कर नहीं जीता है. लेकिन ऑस्कर तक पहुंचने के लिए राजमौली की फिल्म, ‘द एकेडमी’ में बैठे दुनिया के उन लगभग 10 हजार लोगों की नजर से गुजरी है जो सिनेमा में अपने काम के सबसे बेस्ट लोग हैं. अब उन्हें ये पता है कि इंडिया में RRR का डायरेक्टर एक ऐसा आदमी है जो हॉलीवुड को टक्कर देती फुल स्केल एंटरटेनर फिल्म बना सकता है. इंडिया की सबसे महंगी फिल्मों में से एक RRR भले 550 करोड़ रुपये के भारी बजट में बनी बताई जाती हो, मगर हॉलीवुड के स्केल पर देखें तो ये बहुत आम बजट है.

राजामौली की फिल्म देखने के बाद से कई बड़े इंटरनेशनल क्रिटिक्स और फिल्ममेकर्स ये बोल चुके हैं कि मार्वल स्टूडियोज को राजामौली के साथ अपना कोई सुपरहीरो प्रोजेक्ट करना चाहिए. ये होना भले दूर की कौड़ी हो, मगर इस आईडिया का बीज उस ही लंबे सफर से आया है जो RRR ने ऑस्कर की रेस में दौड़ते हुए तय किया है. राजामौली को सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अब इंटरनेशनल सिनेमा प्रेमी और क्रिटिक्स का ध्यान उनकी आने वाली फिल्म पर बना रहेगा.

RRR डायरेक्टर अनाउंस कर चुके हैं कि उनका अगला प्रोजेक्ट महेश बाबू के साथ एक धांसू एक्शन एडवेंचर फिल्म है. इस फिल्म में उनका हीरो दुनिया भर में घूमता नजर आएगा. ऊपर से इसका बजट भी बहुत बड़ा होगा. यानी इसमें एक ग्लोबल अपील वाला पूरा मसाला होगा. ऐसे में इंटरनेशनल जनता पहले से ही इस फिल्म के लिए तैयार मिलेगी.

 

एक्टर्स का फायदा
RRR में लीड रोल करने वाले जूनियर एनटीआर और राम चरण के इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स में काम करने की खबरें भी अब आए दिन आती रहती हैं. अपनी इंडियन फिल्म के प्रमोशन में जुटे दोनों एक्टर्स कई बड़े हॉलीवुड फिल्ममेकर्स से मिलते जुलते नजर आ चुके हैं. राम चरण ने तो ‘स्टार वार्स’ जैसी जबरदस्त पॉपुलर फिल्म फ्रैंचाइजी के पीछे खड़े जेजे अब्राम्स से अपनी बातचीत होने का हिंट भी दिया है.

हॉलीवुड इन दिनों दिन एशियन मार्केट्स, खासकर भारत को टारगेट कर के प्रोजेक्ट्स तैयार कर रहा है. ऐसे में एक ऑस्कर जीतने वाली फिल्म के स्टार्स को कास्ट करने का सोचना, हॉलीवुड फिल्ममेकर्स के लिए दूर की कौड़ी नहीं है.

RRR का ऑस्कर कैम्पेन शुरू होने के बाद तेलुगू इंडस्ट्री के एक पॉपुलर एक्टर निखिल सिद्धार्थ ने कहा था कि ऑस्कर के लिए माहौल बनाना एक खर्चीला प्रोसेस है. इसकी बजाय फिल्मों को भारत के ही अवॉर्ड्स पर फोकस करना चाहिए, हमारे पास अपने नेशनल अवार्ड्स भी तो हैं.

भारत सरकार से मिलने वाला नेशनल अवॉर्ड यकीनन इंडियन फिल्मों के लिए बहुत महत्त्व रखता है. लेकिन RRR को मिला ऑस्कर अवॉर्ड इंडियन ही नहीं, बल्कि तेलुगू इंडस्ट्री के लिए जिस तरह का इंटरनेशनल एक्सपोजर लाएगा उसका असर आगे के लिए एक अलग वैल्यू रखेगा. और अगर कुछ बहुत बड़ा फायदा नहीं भी मिलता तो इतना तो है ही कि भारत के पास अब एक ऐसी फिल्म का उदाहरण है जिसने अपने इंडिपेंडेंट कैम्पेन से ऑस्कर जीता है. ये खुद अपने आप में एक बहुत बड़ी अचीवमेंट है.