उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक प्राइवेट अस्पताल द्वारा गर्भवती महिला के ऑपरेशन में लापरवाही का मामला सामने आया है. डॉक्टरों द्वारा इस कदर लापरवाही बरती गई कि बच्चेदानी के साथ-साथ यूरिन की नली में भी टांके लगा दिए गए. जब महिला को यूरिन पास होने में दिक्कत होने लगी तो हालत बिगड़ने लगी. महिला को तुरंत गोरखपुर में इलाज की सलाह देकर भेज दिया. गोरखपुर के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चेदानी संक्रमित हो चुकी है और दोनों किडनी भी खराब हो चुकी हैं. अंततः इलाज़ कराते-कराते दो महीने के बाद बुधवार को महिला ने घर पर दम तोड़ दिया.
पेशाब नली को सिलने की शिकायत 18 मार्च को परिजनों ने सीएमओ और आई.जी.आर.एस. के पोर्टल पर की गई थी. जब जांच हुई तो पता चला कि उक्त अस्पताल का केवल ओपीडी व आईपीडी का रजिस्ट्रेशन है, ऑपरेशन और मरीज भर्ती करने का नही है. लिहाजा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उक्त अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया और यहां के डॉक्टरों को पीड़ित मरीज से संबंधित सभी डॉक्युमेंट्स के साथ सीएमओ ऑफिस में तीन दिन के भीतर उपस्थित होने को कहा गया. इसके बावजूद भी कोई डॉक्टर सीएमओ दफ्तर नहीं पहुंचा और स्वास्थ्य विभाग भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहा.
अस्पताल के साथ-साथ अधिकारियों की भी घनघोर लापरवाही
जब महिला ने बुधवार को दम तोड़ दिया तो इसकी भनक नोडल अधिकारी डिप्टी सीएमओ डाक्टर आर पी यादव को हुई. वह तुरन्त पूरी टीम के साथ आस्था अस्पताल पहुंच गए खानापूर्ति करते हुए अस्पताल को सील कर दिया गया. अस्पताल के संचालक प्रेम नारायण सिंह के विरुद्ध मेडिकल काउंसिल एक्ट 15(3),419,420,174 के तहत डाक्टर प्रभात रंजन की तहरीर पर थाना तरकुलवा में केस दर्ज करा दिया गया. वहीं दूसरी तरफ पीड़ित परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा है क्योंकि इलाज़ में जमीन तक बेचना पड़ गई और परिवार कर्ज में डूब गया. परिजनों की तहरीर पर शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम कराया गया है.
पहले भी हो चुकी है अस्पताल में एक मरीज की मौत
इस पूरे मामले में सभी अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है, चाहे वो सीएमओ डाक्टर राजेश झा हों या फिर डिप्टी सीएमओ और मामले के जांच अधिकारी डॉ. आर पी यादव. वही पथरदेवा सीएचसी के MOIC डॉक्टर प्रभात रंजन ने आज तक से फोन पर हुई बातचीत में बताया कि आस्था अस्पताल में केवल ओपीडी व आईपीडी का रजिस्ट्रेशन था. ऑपरेशन करने के लिए नही था बुधवार को इस अस्पताल को सील कर दिया गया है.
उन्होंने कहा कि इसमें अस्पताल संचालक के विरुद्ध केस दर्ज कराया गया है. डॉक्टर प्रभात बताया कि यह अस्पताल पहले माया अस्पताल के नाम से संचालित होता था और पहले भी यहां मौत हो चुकी है और अब नाम बदलकर आस्था के नाम से संचालित किया जा रहा था.
यूरिन नली के साथ सील दी बच्चेदानी
आपका बता दें कि थाना बघौचघाट ग्राम मुंडेरा निवासी राम सागर पटेल की बहू संध्या गर्भवती थी. 19 जनवरी 2023 को जब उसके पेट मे अचानक दर्द शुरू हुआ तो पथरदेवा कस्बा स्थित आस्था हॉस्पिटल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने बताया कि नार्मल डिलीवरी नहीं हो पाएगी और ऑपरेशन करना पड़ेगा. ऑपरेशन के बाद बच्ची पैदा हुई और इस दौरान महिला की तबियत बिगड़ती गई. पेशाब आना बंद हो गया लगभग एक हफ्ता हो गया.
यहां के डॉक्टरों ने परिजनों को गोरखपुर ले जाने की सलाह दी. परिजन कई अस्पताल ले गए लेकिन सुधार नही हो हुआ कई जगह चक्कर लगाने के बाद अंत में गोरखपुर के एक निजी अस्पताल द्वारा महिला की जांच की गई तो पता चला कि बच्चेदानी के साथ यूरिन नली भी सिल दी गयी है जिसकी वजह से यूरिन पास होने में दिक्कत हो रही है.
अस्पताल के पास ऑपरेशन का लाइसेंस ही नहीं
यही नही बच्चेदानी भी संक्रमित हो गई हैं लिहाज़ा यहां के डॉक्टरों ने ऑपरेट कर उसे निकाला लेकिन महिला की दोनों किडनी डैमेज हो चुकी थी. डायलिसिस करना पड़ा और इलाज़ चलता रहा. इसकी शिकायत संध्या के ससुर राम सागर पटेल ने 18 मार्च 2023 को सीएमओ को और आईंजीआरएस पर किया था.
जिसके बाद इसमें 20 मार्च को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी जांच करने पहुंचे तो पाया कि अस्पातल के पास को केवल ओपीडी व आईपीडी का रजिस्ट्रेशन है ऑपरेशन का नहीं. लिहाजा रजिस्ट्रेशन कैंसिल करते हुए यहां के डॉक्टर्स को उक्त मरीज से सम्बंधित दस्तावेज लेकर तीन दिनों के भीतर उपस्थित होने को कहा गया था लेकिन कोई उपस्थित नही हुआ. इन सबके बावजूद नोडल डिप्टी सीएमओ डाक्टर आर पी यादव इतना गम्भीर मामला होने के बावजूद चुप्पी साधे रहे. जैसे ही महिला की मौत हुई वैसे ही अस्पताल को सील करने पहुंच गए. यहीं नहीं अस्पताल प्रबन्धक के विरुद्ध थाना तरकुलवा में केस भी दर्ज करा दिया गया.