छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र को हाई कोर्ट का नोटिस, गोठानों के निर्माण से जुड़े मामले में मांगा जवाब

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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने को राज्य सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर बिना अनुमति के वन भूमि पर गौठान बनाने के संबंध में जवाब मांगा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति एन के चंद्रवंशी की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य को तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर ये निर्माण कानून के खिलाफ किए गए तो उन्हें गिराना होगा.

याचिकाकर्ता अंबिकापुर के डीके सोनी और रायपुर के संदीप तिवारी ने वकील अदिति सिंघवी के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि वन भूमि के डायवर्जन के बिना वन अधिनियमों का उल्लंघन करते हुए 25 एकड़ वन भूमि पर 1,307 स्थानों पर गौठान स्थापित किए गए हैं. सुराजी गांव योजना के तहत ये गौठान बनाए जा रहे हैं.

गोठानों में चलाई जा रही है गैर वन गतिविधियां

जनहित याचिका में कहा गया है कि इन गोठानों में गैर वन गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. मल्टी एक्टिविटी सेंटर के नाम से पक्के ढांचों का निर्माण किया गया है, जहां मछली पालन, मुर्गी पालन, मसाला निर्माण, तिखुर उत्पादन, गाय पालन, मशरूम उत्पादन, फूल झाडू निर्माण, दोना पत्तल निर्माण, सिलाई, वर्मीकम्पोस्ट और सुपरकम्पोस्ट का काम होता है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सुराजी गांव योजना शुरू की, जिसके तहत ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी’ कार्यक्रम लागू किया गया, जिसका उद्देश्य पशुशाला/गोठान बनाकर नदियों, गायों/मवेशियों का संरक्षण और कल्याण करना और ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाना है.

इसमें कहा गया है कि वन भूमि के डायवर्जन के लिए केंद्र सरकार की अनुमति अनिवार्य है, जो नहीं की गई और इसके बजाय निर्माण कार्य किए गए हैं. राज्य के वन विभाग ने 10 जनवरी, 2020 को वन प्रबंधन समितियों की सूक्ष्म प्रबंधन योजना के तहत प्रस्तावित ‘आवर्ती चराई केंद्र’ (गोठान) के लिए निर्देश जारी किए. वन भूमि पर अनियंत्रित चराई की समस्या से निपटने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य वन नीति 2001 और छत्तीसगढ़ चराई नियम 1986 के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए निर्देश जारी किए गए.