शराब घोटाले मामले में सीबीआई द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की. इस दौरान सीबीआई ने घोटाले में केजरीवाल की संलिप्तता को लेकर बड़े दावे किए हैं.
सीबीआई ने कहा कि शराब घोटाले में हुई साजिश में केजरीवाल की पूरी-पूरी संलिप्तता थी. दिल्ली सरकार के सभी फैसले केजरीवाल के निर्देश पर ही लिए गए. उन्होंने दिल्ली शराब नीति से जानबूझकर छेड़छाड़ की.
सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल को जमानत मिलने पर वह जांच को प्रभावित कर सकते हैं. आम आदमी पार्टी के नेता और केजरीवाल की पत्नी सुनीता गवाहों को प्रभावित करने के लिए लगातार झूठे नैरेटिव पेश कर रहे हैं.
सीबीआई ने केजरीवाल की जमानत का विरोध करते हुए हाईकोर्ट के समक्ष हलफनामे में कहा कि केजरीवाल को शराब की बिक्री से बेतहाशा फायदा पहुंचा था. जांच एजेंसी ने कहा कि शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया के फैसले को केजरीवाल की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने हरी झंडी दी थी.
उन्होंने कहा कि इस मामले में केजरीवाल की सीधी भूमिका था. उन्होंने मुख्यमंत्री होने के नाते न सिर्फ दिल्ली बल्कि आम आदमी पार्टी की सभी गतिविधियों और संबंधित फैसलों को भी प्रभावित किया.
सीबीआई ने दावा किया कि केजरीवाल का अधिकारियों और नौकरशाहों से करीबी संबंध था. वह और उनकी पत्नी गवाहों को प्रभावित करने और जांच को भटकाने के लिए लगातार झूठे नैरेटिव गढ़ रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि इस जांच के दौरान केजरीवाल न कभी सहयोग नहीं किया.
सीबीआई ने कहा कि ईडी मामले में केजरीवाल की जमानत पर रोक का आदेश 25 जून को सुनाया जाना था. इस आदेश के आने के बाद ही हमने उन्हें गिरफ्तार किया. अगर यह इन्शयोरेंस गिरफ्तारी होती, तो सीबीआई उन्हें हाईकोर्ट के आदेश से पहले ही गिरफ्तार कर सकता था. इससे सवाल उठते लेकिन सीबीआई ने केजरीवाल को तब गिरफ्तार किया, जब हाईकोर्ट ने उनकी जमानत पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.
क्या है दिल्ली शराब घोटाला
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था. नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं. दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी.
हालांकि, ये नीति शुरू से ही विवादों में रही और जब बवाल ज्यादा बढ़ गया तो 28 जुलाई 2022 को सरकार ने इसे रद्द कर दिया. कथित शराब घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था. इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया. मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था. मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.