पूर्व सीएम के करीबी विजय भाटिया चार दिन की जूडिशल रिमांड पर

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हस्ताक्षर न्यूज. दुर्ग के चर्चित कारोबारी विजय भाटिया को सोमवार को रायपुर की विशेष अदालत ने 6 जून तक की रिमांड पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्लू) को सौंप दिया है।

भाटिया को पूर्व सीएम भूपेश बघेल का करीबी माना जा रहा है। ईओडब्लू ने भाटिया पर जिस आधार पर केस बनाया है, वह तत्कालीन शराब नीति से जुड़ा है। ईओडब्लू की जांच के मुताबिक भाटिया ने 52 फीसदी की पार्टनरशिप में ओम सांईं बेवरेजेस नाम की एक फर्म बनाई थी, जिसमें कारोबारी की 52 फीसदी की पार्टनरशिप थी। इस कंपनी पर शराब स्कैम के करोड़ों रुपए कमीशन के रूप में अफरातफरी के आरोप हैं।

जिस दिन कोल लेवी स्कैम के प्रमुख आरोपी रायपुर जेल से रिहा हुए, उसी रात ईओडब्लू ने नई दिल्ली में विजय भाटिया को पकड़ लिया था। आरोपी को रायपुर लाकर सनडे को अदालत में पेश किया गया, लेकिन अवकाशकालीन अदालत ने रिमांड देने का पावर नहीं होने के कारण एक दिन के लिए भाटिया को जेल भेजा था। सोमवार को दोपहर भाटिया को ईओडब्लू की विशेष अदालत में पेश किया गया। ईओडब्लू ने पूछताछ के लिए रिमांड मांगी। कुछ देर पहले अदालत ने भाटिया को 6 जून तक की रिमांड पर ईओडब्लू को सौंपने के आदेश दे दिए हैं। ईओडब्लू कोर्ट से भाटिया को अपने मुख्यालय तेलीबांधा ले जाने की तैयारी कर रही है।

विदेशी शराब के कमीशन के लिए बनी थी कंपनियां

ईओडब्लू की जांच में यह बात सामने आई कि जब विदेशी शराब बनाने वाली कंपनियों ने डायरेक्ट कमीशन देने से कथित तौर पर इंकार कर दिया, तब शराब सिंडीकेट के महारथियों ने एफएल-10 लाइसेंस के नाम से एक रास्ता निकाला। यह लाइसेंस कंपनियों को दिया गया, जो विदेशी शराब बनाने वाली कंपनियों से माल खरीदते थे। ऐसे में उन्हें कमीशन मिलना आसान था। एफएल-10 लाइसेंस 10 से ज्यादा कंपनियों को दिए गए। यह तमाम कंपनियां ऐसे लोगों ने बनाई थीं, जो तत्कालीन सरकार में कथित तौर पर सिंडीकेट के करीबी थे। विजय भाटिया ने भी इसी तरह की एक कंपनी बनाई थी, जिसका जिक्र पहले किया जा चुका है। इस कंपनी ने बड़ी मात्रा में विदेशी शराब खरीदी और कथित तौर पर करोड़ों रुपए इधर से उधर कर दिए।