हस्ताक्षर न्यूज. भारत के 14 वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड ने मॉनसून सत्र के पहले दिन ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उपराष्ट्रपति के इस्तीफ़े पर कई तरह के सवाल उठ रहे है. अचानक दिये गये इस इस्तीफे की राजनीतिक गलियारों के साथ ही आम जन मे भी बड़ी हलचल मची हुई है.
कुछ का कहना है कि उपराष्ट्रपति धनखड़ और सरकार के बीच सबकुछ ठीक नहीं था। ये नाराजगी इतनी बढ़ी की धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, कुछ एक्सपर्ट ने कहा कि धनखड़ पिछले कुछ दिनों से किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार के रुख से सहमत नहीं थे। उन्होंने ये मुद्दा सार्वजनिक मंच से भी उठाया था। इसी खींचतान को लेकर धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया।
मानसून सत्र के पहले दिन जगदीप धनखड़ पूरी सक्रियता से संसद में दिखे। संसद में उन्होंने कई मीटिंग भी ली। सोमवार शाम 6 बजे जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के सांसदों से मुलाकात भी की थी। इस दौरान उन्होंने खराब स्वास्थ्य का कोई जिक्र नहीं किया था। उसके 3 घंटे बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। यही नहीं, जगदीप धनखड़ का ये फैसला इसलिए भी पच नहीं रहा है क्योंकि उनके आगे के कार्यक्रम भी प्रस्तावित थे। 23 जुलाई को धनखड़ का जयपुर दौरा प्रस्तावित था। जहां उपराष्ट्रपति रियल एस्टेट डेवलपर्स संघ के साथ संवाद करने वाले थे। उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से इस कार्यक्रम को लेकर प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने उपराष्ट्रपति के इस कदम को रहस्यमय बताया है। उन्होंने एक्स पर लिखी अपनी पोस्ट में कहा, ‘मैं शाम तकरीबन 5 बजे तक उनके साथ था, कई अन्य सांसद भी मौजूद थे। इसके बाद शाम 7:30 बजे मैंने उनसे फ़ोन पर बात भी की थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफ़े के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक कुछ है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ये हमारे लिए शॉकिंग है, क्योंकि शाम 5.45 बजे मैं उनकी केबिन से बाहर निकला। हमारे साथ जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी भी थे। हमारी जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे पर चर्चा भी हुई। उस समय लगा ही नहीं की उनकी तबीयत खराब है। वो काफी निष्पक्षता से सदन चलाते थे। ये देश की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है।