देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के 21वें मुख्यमंत्री बन गए। उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया। CM के तौर पर ये उनकी तीसरी पारी है। इसकी स्क्रिप्ट चुनाव के ऐलान से 4 महीने पहले अगस्त में लिख ली गई थी। RSS और BJP ने फॉर्मूला तय किया था कि अगर महायुति की सरकार बनी, तो मुख्यमंत्री BJP का ही होगा। किसी वजह से अगर सरकार नहीं बन सकी, तो देवेंद्र फडणवीस को BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा।
BJP के एक सीनियर लीडर ने बताया कि शिंदे और अजित पवार को पहले से पता था कि महायुति की सरकार बनने पर BJP का ही मुख्यमंत्री बनेगा। तभी बहुमत मिलने के बाद एकनाथ शिंदे दिल्ली पहुंचे तो अमित शाह ने उनसे CM पद के बारे में कोई चर्चा नहीं की।
सवाल ये है कि अगर सब कुछ तय था, तो महाराष्ट्र में सरकार बनने में इतनी देरी क्यों हुई। शिंदे की नाराजगी की खबरें क्यों आ रही थीं। इस स्टोरी में पढ़िए, फडणवीस के CM बनने की कहानी और इन सारे सवालों के जवाब…
देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के CM बनेंगे। BJP के पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी की मौजूदगी में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया।
PM मोदी का वादा
RSS के एक सोर्स बताते हैं कि फडणवीस शुरुआत से प्रधानमंत्री मोदी की पहली पसंद रहे हैं। 30 जून, 2022 को एकनाथ शिंदे CM बनाए गए, तब PM मोदी के कहने पर ही फडणवीस ने डिप्टी CM का पद मंजूर किया था। PM मोदी ने तभी वादा किया था कि अगली बार सत्ता में आने पर फडणवीस को सम्मानजनक पोजिशन दी जाएगी।
फडणवीस ने तब CM की कुर्सी छोड़कर PM मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत के दिल में बड़ी जगह बनाई थी। इसी का नतीजा है कि वे दोनों के करीब हैं। अब उनके हाथ में CM और फिर BJP अध्यक्ष बनने का विकल्प है।
BJP से जुड़े एक सोर्स बताते हैं कि 23 नवंबर को आए रिजल्ट में महायुति को बहुमत मिलते ही प्रधानमंत्री मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को फोन किया था। उन्हें अगला मुख्यमंत्री बनने की बधाई तक दे दी थी।
इमेज खराब न हो इसलिए एकनाथ शिंदे ने लिया लंबा वक्त
अब सवाल ये है कि सब तय था तो एकनाथ शिंदे ऐसा क्यों दिखा रहे हैं कि वे नाराज हैं। कभी वे अपने गांव चले गए, तो कभी लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। यहां तक कि एक इंटरव्यू में उन्होंने ये तक कह दिया- ‘मैं जनता का मुख्यमंत्री हूं और जनता चाहती है कि मैं ही CM बनूं।’
इसका जवाब महाराष्ट्र की सियासी नब्ज समझने वाले सीनियर जर्नलिस्ट विनोद राउत देते हैं। वे कहते हैं, ‘महाराष्ट्र में 2019 में BJP ने शिवसेना को नजरअंदाज किया था। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर सरकार बना ली। इससे BJP को सबक मिला कि राजनीति में अपने सहयोगियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।‘
‘आपके पास जब बहुमत नहीं होता, तो आप सरकार बनाने में जल्दबाजी करते हैं। बहुमत होने पर सियासी पार्टियां आराम से काम करती हैं। इसलिए BJP ने इस मामले में जल्दबाजी नहीं दिखाई। BJP ये भी मैसेज देना चाहती है कि वो अपने पार्टनर्स को हल्के में नहीं ले रही, बल्कि उन्हें पूरा वक्त दे रही है।‘