रायपुर महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि, नगर निगम को शहर के चार विधायक और मंत्री चला रहे हैं। निगम के अधिकारी भाजपा नेताओं के दवाब में काम कर रहे हैं। मेयर ने शनिवार को शहर के अलग-अलग विषयों पर मीडिया से बातचीत की।
उन्होंने अमलीडीह इलाके में कॉलेज के 9 एकड़ जमीन को बिल्डर के नाम पर आबंटन करने के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। शहर में गरीबों के ठेले और गुमटियों को जिस तरह से हटाया जा रहा है। वही गलत है। मेयर ने कहा कि, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार ज़रूरी है। लेकिन गरीबों को बिना व्यवस्था दिए दुकानें हटाना सही नहीं है।

निगम का एक्शन सही नहीं
मेयर ने कहा कि, नगर निगम से 70 वार्डों में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग का अमला जिस तरह से दुकानों को फुटकर व्यापारियों को हटा रहे हैं। जो लोग लंबे समय से कर रहे हैं। उन्हें बिना विस्थापित किए हटाना सही नहीं है।
एक तरफ यह छोटे-छोटे गरीब लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं। लेकिन बूढ़ा-तालाब में पब्लिक के विरोध के बाद भी चौपाटी का काम तेजी से चल रहा है। यह किस तरह का दोहरा मापदंड है। शहर में जो कार्रवाई की जा रही है। लोगों को यह बताया जा रहा है कि, निगम में कांग्रेस के महापौर उनकी परिषद यह एक्शन करवा रही है। लेकिन यह गलत है।
मेयर ने की सीबीआई जांच की मांग
अमलीडीह में कॉलेज के लिए आरक्षित 9 एकड़ जमीन को बिल्डर को आवंटित करने के मामले में मेयर ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, सिर्फ एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए करोड़ों की जमीन सस्ते दाम में एक व्यक्ति को दे दी गई। इस सरकार में सिर्फ एक व्यक्ति को जमीन देने के बाद 150 प्रतिशत भू-भाटक वाली योजना बंद कर दी गई है।
मेयर ने कहा कि, कलेक्टर को 7000 स्क्वायर फीट तक की जमीन देने का पावर है। बड़ी जमीन के मसलों में 5 लोगों की कमेटी बनती है। जिसमें विभाग के मंत्री खुद अध्यक्षता करते हैं। विभाग के सेक्रेटरी और संभाग आयुक्त कमेटी में रहते है। आखिर किसके कहने पर कॉलेज की जमीन दी गई है। मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करूंगा की इस मामले में सीबीआई की जांच की जाए।