कोच्चि: INS विक्रांत को बनाने में फ्रांस स्थित एफिल टावर के वजन से चार गुना ज्यादा लोहा और स्टील का इस्तेमाल किया गया है। इसका वजन 45000 टन है। इसकी लंबाई 262 चौड़ाई 62 मीटर और ऊंचाई 59 मीटर है। INS विक्रांत को साल 2009 में बनाना शुरू किया गया था, वहीं अब 13 साल के लंबे इंतजार के बाद यह नौसेना को मिलने जा रहा है। वर्तमान की बात करें तो एशिया में दो देशों के पास ही विमानवाहक पोत मौजूद हैं। वहीं जापान इसका अपवाद है, जिसके पास जेएस इजिमो नाम का हेलीकॉप्टर कैरियर है, जिससे एफ-35 लड़ाकू विमान को ऑपरेट किया जा चुका है। वहीं अगर बात की जाए तो विमानवाहक पोत के मामले में चीन पहले पायदान पर है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को INS विक्रांत विमानवाहक पोत कोचीन शिपयार्ड पर नौसेना को समर्पित किया है।
पहले विमानवाहक का नाम भी था विक्रांत
साल 1960 में ही भारतीय नौसेना को पहली बार विमानवाहक पोत सौंपा गया। तब ब्रिटेन से आयातित इस पोत का नाम भी विक्रांत ही था, जो अब रिटायर हो चुका है। उसी के नाम पर नए स्वदेशी पोत का नाम विक्रांत रखा गया है। भारतीय नौसेना को दूसरा विमानवाहक पोत विराट भी 1988 में ब्रिटेन से ही खरीद कर दिया गया था। तब दक्षिण पूर्व एशिया के देशों ने भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाओं में गैरजरूरी विस्तार का आरोप लगाया था। वहीं विराट भी अब रिटायर हो चुका है।
समंदर में तैरता किला INS विक्रांत
INS विक्रांत को नौसेना को समर्पित करते हुए करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया भर में आज इस बात की चर्चा हो रही है कि भारत अपने दम पर क्या कर सकता है। INS विक्रांत की खूबियों का बखान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि शक्तियों से लैस विमानवाहक पोत एक तरह से समंदर में तैरते किले के जैसा है।
‘INS विक्रांत से बढ़ेगी दुनिया भर में भारत की शान’
पीएम मोदी ने INS विक्रांत को नौसेना को समर्पित करते हुए कहा कि इसको बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया स्टील भी स्वदेशी है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया और देशी कंपनियों ने प्रोड्यूस किया। INS विक्रांत एक तैरता हुआ एयरफील्ड और तैरता हुआ शहर है। यह जितनी बिजली पैदा करता है, उससे 5 हजार घरों को रौशन किया जा सकता है। पीएम ने कहा कि इसका फाइव डेक भी दो फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है, इसमें इतनी वायर और केबल लगी हैं कि कोच्चि से काशी तक पहुंचा जा सकता है।
INS विक्रांत को मिलाकर भारत के पास अब 2 विमानवाहक पोत
इंडियन नेवी को INS विक्रांत की सौगात मिलने के बाद भारत के पास कुल दो विमानवाहक पोत हो जाएंगे। दरअसल यह महड पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ही नहीं, बल्कि एक तरह से समंदर पर तैरता किला है।
इंडियन हिस्ट्री में अब तक का सबसे बड़ा जहाज-INS विक्रांत
भारत में ही बना INS विक्रांत देश के अब तक के समुद्री इतिहास में सबसे बड़ा जहाज है। प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने कोचीन शिपयार्ड में करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बने INS विक्रांत को नौसेना को समर्पित किया। वहीं इस दौरान पीएम मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।
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