हस्ताक्षर न्यूज. एयर इंडिया के अहमदाबाद से लंदन की फ्लाइट क्रैश होने का सीधा असर जल्द ही एयरलाइन्स इंडस्ट्री पर देखने को मिल सकता है. लगभग 2000 करोड़ के ऊपर का बीमा दावा विमान के क्रैश होने के बाद किया जा सकता है. इसकी भरपाई बीमा कंपनियां बीमा की प्रीमियम राशि मे इजाफा करके कर सकती है.
भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो के पास 437 विमानों का बेड़ा है. इंडिगो कंपनी का बीमा लिमिट 20 अरब डॉलर का है. सूत्रों के अनुसार, कंपनी के एविएशन बीमा प्रीमियम में अचानक 30% से 50% तक की वृद्धि संभव है. इसका कारण एयर इंडिया विमान हादसे से जुड़े भारी-भरकम बीमा दावों और ईरान-इज़राइल जैसे युद्ध संकट से उपजा वैश्विक बीमा दबाव है.यह सिर्फ एक कंपनी की आंतरिक वित्तीय चुनौती नहीं है, बल्कि पूरे भारतीय एविएशन क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है.
इंडिगो एयरलाइन्स का बीमा वैल्यू
- हर विमान की बीमा वैल्यू: $30–$45 मिलियन
- कुल बीमा कवरेज: लगभग $20 बिलियन
- वार्षिक बीमा प्रीमियम: $14–15 मिलियन
यह बीमा न्यू इंडिया एश्योरेंस के नेतृत्व में तैयार किया गया था, जिसमें ICICI लोम्बार्ड जैसी घरेलू कंपनियां शामिल थीं. पुनर्बीमा (Reinsurance) लंदन के बाजार में कराया गया था.
एयर इंडिया हादसे से बदला पूरा समीकरण
हाल ही में अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे इंश्योरेंस सिस्टम को हिला दिया है.
- हुल (Hull) और लायबिलिटी क्लेम्स की अनुमानित सीमा: $120–200 मिलियन
- यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा एविएशन इंश्योरेंस पेआउट बन सकता है.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह क्लेम वैश्विक बीमाकर्ताओं तक जाता है, तो वे भारत जैसे उभरते बाजारों में जोखिम मूल्यांकन और प्रीमियम दरों को ऊंचा कर सकते हैं.
इस्राइल और ईरान एयर स्पेस बंद होने से भी हुआ असर
बीमा प्रीमियम बढ़ने का दूसरा बड़ा कारण ईरान-इज़राइल संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव हैं.
- ईरानी एयरस्पेस के बंद होने से कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें डायवर्ट करनी पड़ीं.
- बीमाकर्ता ऐसे समय में “वॉर रिस्क रेट्स” स्वत: ही बढ़ा देते हैं.
- वॉर बीमा में केवल 7 दिन की कैंसलेशन क्लॉज़ होती है, जिससे बीमा किसी भी समय रद्द किया जा सकता है.
इन स्थितियों के कारण भारत में संचालित हर एयरलाइन को अपने विमानों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा लागत चुकानी पड़ सकती है.
यात्री दावे, कानूनी मामले और बीमा उद्योग का दबाव
हाउडेन इंडिया इंश्योरेंस के CEO अमित अग्रवाल के अनुसार, एयर इंडिया हादसे के यात्रियों को मुआवज़ा मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के अनुसार मिलेगा, लेकिन यह प्रक्रिया यात्रियों की राष्ट्रीयता और मुकदमों की प्रकृति पर निर्भर करेगी.
GIC Re के चेयरमैन एन. रामास्वामी ने कहा कि इतने बड़े क्लेम से रीइंश्योरेंस कंपनियों की रेटिंग और क्षमता दोनों प्रभावित होंगी. इससे संकेत मिलता है कि भविष्य में बीमा कवर प्राप्त करना कठिन या महंगा हो सकता है.
एयर लाइंस कंपनियों के पास क्या विकल्प
- प्रीमियम पर पुनः बातचीत (Re-negotiation):
लंदन मार्केट में नई शर्तों पर बीमा रिन्यू करना होगा. - बेड़े में बदलाव:
पुराने विमानों को हटाकर बीमा लागत कम की जा सकती है. - युद्ध क्षेत्र से बचाव:
ऐसे रूट्स को अस्थायी रूप से निलंबित किया जा सकता है जहां वॉर रिस्क अधिक है.
हादसे ने पूरे सिस्टम को हिला दिया
एयर इंडिया हादसा केवल एक तकनीकी चूक नहीं था, इसका प्रभाव पूरे भारतीय एविएशन सेक्टर की बीमा नीति और वित्तीय स्थिरता पर पड़ रहा है.
इंडिगो, जो कम लागत वाले संचालन के लिए जानी जाती है, इस बीमा प्रीमियम वृद्धि से आर्थिक दबाव में आ सकती है.
यदि युद्ध संकट और वैश्विक बीमा बाजार की सख्ती बनी रही, तो आने वाले समय में एयर टिकट की कीमतें, विमानों की उड़ान क्षमता और यात्रियों की सुरक्षा लागत – सब कुछ प्रभावित हो सकता है.