रायपुर। कर्नाटक की सरकार सरकारी ठेकों में मुस्लिमों को आरक्षण दे रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे लेकर कहा- कांग्रेस शासित कर्नाटक में शासकीय ठेके में धर्म आधारित आरक्षण देना निंदनीय और अस्वीकार्य है। जहां भी दुर्भाग्य से कांग्रेस सत्ता में होती है, वह भारतीय संविधान का सबसे पहले गला घोंटने की कोशिश करती है। यह तुष्टीकरण की पराकाष्ठा है। धर्म आधारित आरक्षण के विरुद्ध वैसे भी अनेक बार माननीय न्यायालयों ने निर्णय दिया है। यह फैसला भी न्यायालय में टिकेगा नहीं, यह कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भी भली-भांति जानता है।
किंतु हमेशा की तरह समाज में वैमनस्य पैदा करने के लिए कांग्रेस का यह सोचा समझा षड्यंत्र है। देश-प्रदेश के आदिवासी, दलित और वंचित लोगों को संविधान द्वारा दिये आरक्षण के साथ इस तरह खिलवाड़ सहन योग्य नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष श्री खरगे और राहुल गांधी जल्द से जल्द इसे वापस लेने का निर्देश मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को दें।
दु:खद है कि वंचित समाज से आने वाले खरगे जी, सोनिया जी और राहुल जी के बहकावे में आकर अपने ही समाज के विरुद्ध साजिशें रचने में स्वयं को इस्तेमाल होने दे रहे हैं। चेत जाइए खरगे जी। इतिहास इस तरह आपको माफ नहीं करेगा।
कर्नाटक सरकार का फैसला
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मुस्लिम कॉन्ट्रैक्टर्स को सरकारी टेंडर में 4 प्रतिशत आरक्षण देगी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योर्मेंट (KTPP) एक्ट में बदलाव का प्रस्ताव रखा, जिसे मंजूर कर लिया गया है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योर्मेंट (KTPP) एक्ट में बदलाव का बिल विधानसभा के इसी बजट सेशन में लाया जाएगा। विधानसभा से पारित होने के बाद कर्नाटक के सरकारी टेंडर में मुस्लिमों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता साफ हो जाएगा।
कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा- भाजपा इसके खिलाफ है और हम इसका विरोध करते रहेंगे। सरकारी ठेकों में आरक्षण पूरी तरह से असंवैधानिक है। सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर इसकी अनुमति दी जा सकती है, लेकिन किसी धार्मिक समुदाय को सीधे तौर पर आरक्षण देना स्वीकार्य नहीं है।