छत्तीसगढ़ की सरकार को बने लगभग 2 साल होने जा रहे हैं मगर अब तक प्रदेश भाजपा कुछ मामलों में बड़े फैसले नहीं कर सकी है। 17 जून 2024 से छत्तीसगढ़ में बृजमोहन अग्रवाल का मंत्री पद खाली है दो महीने बाद इस स्थिति को एक साल हो जाएंगे और अब तक प्रदेश भाजपा इस खाली जगह को भरने में नाकाम रही है।
भले ही इस मंत्री पद के खाली होने से जनता पर सीधा कोई असर ना पड़ रहा हो मगर यह तय है कि विभाग के बहुत से काम अटके हुए हैं। जानकार इस परिस्थिति के पीछे कई तरह की वजह भी बताते हैं।
अड़ गए हैं कुछ नेता
भारतीय जनता पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि कुछ नेता मंत्री पद को लेकर अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं इनमें कुछ पुराने नेता हैं जो चाहते हैं कि मंत्री पद उन्हें मिले कुछ नए नेता भी हैं जो एड़ी चोटी का जोर लगाकर इस बार हर हाल में मंत्री बन जाना चाहते हैं। इसी चक्कर में कई नेताओं का दिल्ली आना-जाना भी लगा हुआ है।
चर्चा है की आल्हा कमान की खुशामद करने से कई नेता पीछे नहीं है रहे हैं संगठन के कुछ बड़े नेताओं का सपोर्ट भी कुछ नेताओं को प्राप्त है जिस वजह से फैसला लेने में देरी या रुकावटें आ रही है। कुछ महीनो में हालांकि छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में नए नाम का ऐलान तो हो जाएगा मगर उन्होंने मंत्रियों के पास काम करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं होगा। 2027-28 आते आते भाजपा फिर से चुनावी मोड में चली जाएगी।
किसे मंत्री बनाया जाए या किसे नहीं ऐसे फैसले दिल्ली के बंद कमरों में चंद घंटे में हो जाते हैं , मगर छत्तीसगढ़ को लेकर बनी हुई कन्फ्यूजन की स्थिति यह बताने के लिए काफी है कि भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। भाजपा सूत्र बता रहे हैं कि आने वाले मानसून सत्र के दौरान या उससे पहले नए नाम का ऐलान हो सकता है हालांकि अब इसे लेकर जनता के बीच कोई रुचि नहीं बची है।