उत्तर भारत सहित कई राज्यों में इन दिनों जमकर बारिश हो रही है. बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. ऐसे में इस साल का पहला चक्रवात के आने की संभावना जताई गई है. आईएमडी को इसके संकेत मिल चुके हैं, जिसको लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने इसे लेकर एक प्रेस वार्ता भी किया. मौसम प्रणाली के 8 मई को कम दबाव के क्षेत्र में केंद्रित होने और 9 मई को चक्रवात में बदलने की आशंका है. प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि बंगाल की मध्य खाड़ी की तरफ बढ़ने का अनुमान है.
बुधवार को मौसम विभाग के कार्यालय ने जानकारी देते हुए बताया कि दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी में चक्रवात के शुरुआती संकेतों का पता चला है. इसके चलते मछुआरों और नाव चलाने वाल लोगों को इस क्षेत्र में न जाने की चेतावनी दी गई है. आईएमडी प्रमुख ने कहा कि चक्रवात की स्थिति में इस क्षेत्र में 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है. महापात्रा ने कहा कि चक्रवात का नाम मोचा रखने का सुझाव यमन ने दिया है.
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि संख्यात्मक मॉडल के अनुसार नौ मई के आसपास चक्रवाती तूफान के लिए स्थिति अनुकूल होने का संकेत मिला है, लेकिन इसकी गति और तीव्रता सात मई को कम दबाव का क्षेत्र बनने के बाद निर्धारित की जा सकती है. ओडिशा तट पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर महापात्रा ने कहा कि इसके लिए या पूर्वी तट पर किसी अन्य स्थान के लिए कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि चक्रवात के बारे में जानकारी का उद्देश्य मछुआरों और नौ-परिवहन से जुड़े लोगों को सतर्क करना है. उन्होंने कहा कि लोगों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. महापात्रा ने कहा कि अप्रैल, मई और जून के महीने ग्रीष्मकालीन चक्रवात के लिए माने जाते है, जबकि सितंबर, अक्टूबर और नवंबर मानसून चक्रवात महीने हैं. ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त सत्यव्रत साहू ने बुधवार को कहा कि मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही 18 तटीय और आसपास के जिलों के जिलाधिकारियों और 11 विभागों के अधिकारियों को सतर्क कर दिया है.