छत्तीसगढ़ में एनसीपी नेता राम अवतार जग्गी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने याह्या ढेबर की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है। इस मामले में अभय गोयल और फिरोज सिद्दीकी को जमानत देकर बड़ी राहत दी गई है। अन्य आरोपियों की याचिका पर 9 दिसंबर को सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पक्षों की दलील सुनी गई। सुनवाई न्यायालय ने फिरोज सिद्दीकी और अभय गोयल की जमानत अर्जी को मंजूरी दे दी, लेकिन याह्या ढेबर की याचिका खारिज कर दी।
वहीं, 7 महीने पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को लेकर जग्गी हत्याकांड में सभी दोषियों की सजा बरकरार रखी थी। जिसके बाद दोषियों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
21 साल पहले गोली मारकर की गई थी हत्या
4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 आरोपी बनाए गए थे। जिसमें से बलटू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को दोषी करार दिया गया था।
हालांकि बाद में अमित जोगी को बरी कर दिया गया था। अमित जोगी को बरी किए जाने के खिलाफ रामावतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिस पर अमित के पक्ष में स्टे है।
कौन थे रामावतार जग्गी ?
कारोबारी बैकग्राउंड वाले रामावतार जग्गी देश के बड़े नेताओं में शुमार पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल के बेहद करीबी थे। जब शुक्ल कांग्रेस छोड़कर NCP में शामिल हुए तो जग्गी भी उनके साथ-साथ गए। विद्याचरण ने जग्गी को छत्तीसगढ़ में NCP का कोषाध्यक्ष बना दिया था।
ये हैं दोषी
जग्गी हत्याकांड में अभय गोयल, याहया ढेबर, वीके पांडे, फिरोज सिद्दीकी, राकेश चंद्र त्रिवेदी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, अमरीक सिंह गिल, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत और विश्वनाथ राजभर दोषी हैं।
जग्गी के हत्या से पहले प्रदेश के सियासी हालात
छत्तीसगढ़ अलग प्रदेश बना, तब विधानसभा में कांग्रेस की बहुमत थी। कांग्रेस की ओर से CM पद की रेस में विद्याचरण शुक्ल का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन आलाकमान ने अचानक अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बना दिया। इस वजह से पहले से नाराज चल रहे विद्याचरण पार्टी में अपनी अनदेखी से और ज्यादा नाराज हो गए।
नवंबर 2003 में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उन्होंने कांग्रेस छोड़कर NCP जॉइन कर ली। NCP के बढ़ते दायरे से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होने का डर सताने लगा। जग्गी की हत्या से कुछ दिन पहले ही NCP की बड़ी रैली होने वाली थी, जिसमें शरद पवार समेत पार्टी के कई बड़े नेता आने वाले थे।