छत्तीसगढ़ में BJP को लग सकता है बड़ा झटका! इन नेताओं की सदस्यता खतरे में

0
311
News Image RO NO. 13286/ 136
Advertisement Carousel

भिलाई नगर निगम की सामान्य सभा की बजट बैठक 31 मार्च को भिलाई नगर निगम के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित की गई थी जिसमें वार्ड के सभी 70 पार्षद और एल्डरमैन सहित भिलाई नगर निगम के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे. लेकिन, चलती सामान्य सभा और बजट भाषण के बीच में ही बीजेपी के 8 पार्षदों कुछ ऐसा किया जिसे देखकर सभी हैरान रह गए. अब इनकी सदस्यता पर खतरा मडरा रहा है.

किस चीज का कर रहे थे विरोध
दरअसल महापौर द्वारा होली और रामनवमी पर गिफ्ट के रूप में सभी पार्षदों को मिक्सर बांटे गए थे. यह मिक्सर जूसर ग्राइंडर पार्षदों के घर पहुंचाए गए. जिस पर अपना एतराज जाहिर करते हुए बीजेपी के नेता प्रतिपक्ष सहित लगभग 8 पार्षदो ने महापौर द्वारा गिफ्ट में भेजे गए मिक्सर ग्राइंडर को सामान्य सभा की बैठक लहराने लगे और उसे वापस करने की बात करने लगे.

जा सकती है पार्षदी
इस मामले में सभापति ने कहा कि बीजेपी के 8 पार्षदों ने सदन की गरिमा की अवमानना की है. उन्होंने इस संबंध में भागायुक्त को पत्र भी लिखा है. यदि आयुक्त द्वारा कार्रवाई की गई तो सभी 8 पार्षदों की पार्षदी भी जा सकती है.

सभापति गिरवर बंटी साहू ने बताया कि नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 19 के तहत कार्रवाई के लिए संकल्प पारित किया गया है. इसे निगम कमिश्नर से होता हुआ दुर्ग संभाग के आयुक्त को भेजा गया है. संभाग आयुक्त मामले में सुनवाई करेंगे, अगर पार्षद दोष सिद्ध हो जाते हैं तो उनकी बर्खास्तगी तय है.

महापौर ने कहा गिफ्ट वापस कर दें
मामले पर भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल का कहना है कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है. महापौर होने के नाते मैंने सभी को गिफ्ट भेजा था, जिसे पसंद नहीं है वह वापस कर दे.

कोर्ट जाएंगे बीजेपी पार्षद?
इस पूरे मामले पर नेता प्रतिपक्ष भोजराज सिन्हा का कहना है कि भिलाई नगर निगम में लगातार भ्रष्टाचार हो रहा है. इस भ्रष्टाचार को विपक्ष के पार्षद कहीं सामान्य सभा में सवाल ना उठा दे. इसलिए उस भ्रष्टाचार को दबाने के लिए 12 साल में पहली बार रामनवमी पर भिलाई नगर निगम के महापौर ने गिफ्ट भेजा था. गिफ्ट को सभापति की अनुशंसा पर ही वापस किया गया था.

नीरज पाल ने कहा कि जिसको गिफ्ट पसंद नहीं है वह वापस कर दें. लेकिन, बाद में पता चलता है कि सभी 8 पार्षदों पर कार्रवाई की जा रही है. सभापति को अधिकार है कि वह संभागायुक्त को लेटर लिख सकते हैं और यदि ऐसी कोई बात सामने आएगी तो बीजेपी के पार्षदों के पास भी न्यायपालिका का रास्ता खुला है.